कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन की आखिरी तारीख खत्म हो चुकी है। 9 दिन की सियासी उठापटक के बाद हाईकमान के संकेत पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने नामांकन दाखिल किया। पार्टी के 30 दिग्गज नेता उनके प्रस्तावक बने, जिसमें राजस्थान के CM अशोक गहलोत, एके एंटोनी, पवन बंसल और दिग्विजय सिंह शामिल हैं। ऐसे में खड़गे की जीत तय मानी जा रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए खड़गे की वाइल्ड कार्ड एंट्री ने सबको चौंका दिया है। 24 अकबर रोड से 10 जनपथ तक एक ही चर्चा है कि खड़गे को ही हाईकमान से हरी झंडी क्यों मिली? नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख से पहले उनका नाम कहीं चर्चा में तक नहीं था। खड़गे का नाम सामने आने से पहले का घटनाक्रम सिलसिलेवार तरीके से देखें, तो तस्वीर कुछ साफ हो सकती है...
- 28 सितंबर को जयपुर में गहलोत गुट के हंगामे के बाद टीम राहुल ने केरल से दिग्विजय सिंह को नामांकन के लिए दिल्ली भेजा। दिग्गी संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ दिल्ली आए और फिर कांग्रेस ऑफिस जाकर नामांकन पत्र लिया।
- सूत्रों के मुताबिक खड़गे के नाम पर सहमति सोनिया और प्रियंका के बीच 29 सितंबर की रात मीटिंग में बनी थी। सोनिया पहले पुराने वफादार अशोक गहलोत को अध्यक्ष बनाना चाहती थी, लेकिन जयपुर में गहलोत गुट के विधायकों ने जो बवाल किया, उसके बाद से ही हाईकमान उनसे नाराज चल रहा था। आखिर में गहलोत ने भी अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया।
- इसी बीच दिग्विजय सिंह का नाम सामने आने के बाद सोनिया सक्रिय हुईं और 29 सितंबर की रात 10 बजे अचानक प्रियंका के घर पहुंची, जहां दोनों के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत हुई। इसके बाद अगली सुबह मल्लिकार्जुन खड़गे को 10 जनपथ से नामांकन फाइल करने का संदेश भेजा गया।
- खड़गे के नामांकन दाखिल करने की खबर जैसे ही दिग्विजय को लगी, वे तुरंत उनके सरकारी आवास 10 राजाजी मार्ग पहुंचे, जहां पहली बार खड़गे ने नामांकन दाखिल करने की पुष्टि कर दी। खड़गे के चुनाव लड़ने की जानकारी मिलने के बाद दिग्विजय ने पर्चा नहीं भरने की घोषणा कर दी।
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