Breaking

06 October 2022

मोक्षदायी है यह पावन व्रत, उपवास करने से दूर हो जाते हैं रोग

 

समस्त पाप कर्मों से मुक्ति दिलाने वाला एकादशी का पावन व्रत भगवान श्रीहरि को समर्पित है। इस व्रत को मोक्षदायी माना गया है। एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु का ही स्वरूप माना गया है।

समस्त पाप कर्मों से मुक्ति दिलाने वाला एकादशी का पावन व्रत भगवान श्रीहरि को समर्पित है। इस व्रत को मोक्षदायी माना गया है। एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु का ही स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने वाले भक्त को कोई और पूजा करने की आवश्यकता नहीं रह जाती है। इस व्रत को करने वाला प्राणी सभी सांसारिक सुखों को भोगता हुआ अंत में श्रीमन नारायण के धाम वैकुण्ठ को जाता है।

एकादशी व्रत को करने से सहस्त्र गोदान के बराबर फल प्राप्त होता है। एकादशी व्रत का पालन करने से पहले दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले भोजन कर लें। एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ और सात्विक रंगों के वस्त्र धारण करें। मन में व्रत का संकल्प लें। षोडषोपचार सहित भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करें। भगवान के समक्ष धूप-दीप जलाएं, आरती करें। व्रत कथा का पाठ करें। इस दिन प्रत्येक क्षण ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जाप करें। इस दिन घर में विष्णुसहत्रनाम का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। एकादशी की रात्रि में जागरण कर हरि कीर्तन करें। द्वादशी को सुबह पूजन के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें। इसके पश्चात स्वयं भोजन करें और व्रत का समापन करें। एकादशी के दिन किसी की निंदा न करें। न ही झूठ बोलें। एकादशी के दिन फलाहारी व्रत करने से अनेक रोगों से मुक्ति मिलती है। इस दिन नमक, शक्कर, तेल और अन्‍न का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस दिन पूजा में तुलसी के पत्तों का प्रयोग करें। एकादशी के दिन भूलकर भी कांसे के बर्तन में भोजन न करें। इस दिन मसूर की दाल, चने व कद्दू की सब्‍जी एवं शहद का सेवन न करें। एकादशी पर भूमि पर शयन करें। 



No comments:

Post a Comment

Pages