Breaking

10 October 2022

अपने जिले के पहले दलित वकील थे खड़गे:स्कूल में हेड बॉय रहे, अब कांग्रेस अध्यक्ष पद से एक कदम दूर



 1947 का अगस्त महीना। मैसूर राज्य (अब कर्नाटक) का वरवट्टी गांव। तब यहां निजाम की हुकूमत थी। भारत को बांटकर पाकिस्तान बनाया गया, तो इस इलाके में भी हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क गए। वरवट्टी गांव पर निजाम की सेना ने हमला कर दिया। साथ में लुटारी (अमीरों को लूटने वाले) भी थे। उन्होंने पूरे गांव में आग लगा दी। यहीं एक घर में 5 साल के बच्चे ने अपनी मां को जिंदा जलते देखा।

पिता उसे बचाकर गांव से दूर ले गए। 3 महीने जंगल में रहे। मजदूरी की। बच्चे को काम में लगाने की बजाय पढ़ाया। मल्लिकार्जुन नाम का वह बच्चा बड़ा होकर पहले वकील बना, फिर यूनियन लीडर, विधायक, अपने प्रदेश कर्नाटक में मंत्री, सांसद, केंद्रीय सरकार में मंत्री और अब कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से सिर्फ एक कदम दूर है। जी हां, ये मल्लिकार्जुन खड़गे की कहानी है।

अध्यक्ष पद के लिए 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे का मुकाबला शशि थरूर से है। इसके लिए 17 अक्टूबर को वोटिंग होगी और नतीजा 19 अक्टूबर को आएगा। जिस तरह खड़गे को पार्टी नेताओं का समर्थन और गांधी परिवार की सहमति मिली है, उससे उनका कांग्रेस अध्यक्ष बनना लगभग तय है।

खड़गे की जिंदगी हमेशा मुश्किल भरी रही, लेकिन लीडरशिप की क्वालिटी उनमें बचपन से थी। वे स्कूल में हेड बॉय थे। कॉलेज गए तो स्टूडेंट लीडर बन गए। गुलबर्गा जिले के पहले दलित बैरिस्टर बने, पहली बार में विधायक बने और 9 बार चुने गए, दो बार सांसद भी रहे, लेकिन तीन बार कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए।

खड़गे इंदिरा गांधी के समय से गांधी परिवार के करीब रहे हैं। यही वजह है कि अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम पर सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी तीनों की सहमति थी।

बीदर जिले के छोटे से गांव में मल्लिकार्जुन का जन्म हुआ
मल्लिकार्जुन खड़गे के सियासी सफर को समझने के लिए हम सबसे पहले वरवट्टी गांव पहुंचे। यहीं मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म हुआ था। ये गांव कर्नाटक के बीदर जिले के भालकी तालुका में आता है। यहां अब भी उनके परिवार के कुछ लोग रहते हैं। गांव में हमारी मुलाकात उनके भतीजे संजीव खड़गे से हुई। संजीव के पिता मल्लिकार्जुन से दो साल बड़े थे। 9 साल पहले उनका निधन हो गया था।

No comments:

Post a Comment

Pages