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05 October 2022

शिवसेना का शिवाजी पार्क कनेक्शन:बाल ठाकरे ने यहीं खड़ी की शिवसेना, उद्धव बचाने उतरे

 


आज देशभर में दशहरे की धूम है। मुंबई में इस मौके पर एक ही पार्टी की दो बड़ी रैलियां होनी हैं। उद्धव ठाकरे का गुट शिवाजी पार्क में रैली करेगा, तो BKC पार्क में शिंदे गुट इसके जरिए शक्ति प्रदर्शन करेगा। भास्कर एक्सप्लेनर में जानते हैं कि कैसे शिवसेना के दो धड़ों के बीच दशहरा रैली राजनीति का मंच बन गई। दशहरा, शिवाजी पार्क और शिवसेना का कनेक्शन क्या है...

‘दो’ शिवसेना, एक मैदान, दशहरा रैली पर घमासान

इस साल जून में एकनाथ शिंदे की अगुआई में 40 विधायकों ने शिवसेना से बगावत करते हुए उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा दी। बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे, BJP के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए। तब से शिंदे और उद्धव के बीच खुद को असली शिवसेना साबित करने की जंग छिड़ी हुई है।

दोनों गुट पार्टी के चुनाव चिन्ह तीर और धनुष के लिए सुप्रीम कोर्ट में हैं। अब जबकि BMC चुनाव नजदीक हैं, तो दोनों गुट पार्टी दशहरा रैली के जरिए स्थानीय कार्यकर्ताओं के बीच भी अपनी मजबूती दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस बार दशहरा रैली का आयोजन दोनों गुटों के लिए नाक का सवाल बन गया है।

अंग्रेजों के जमाने में बना था शिवाजी पार्क

शिवाजी पार्क सेंट्रल मुंबई के दादर इलाके में स्थित सार्वजनिक पार्क है, जो 1.13 लाख वर्ग मीटर यानी करीब 28 एकड़ में फैला है और ये मुंबई का सबसे बड़ा पार्क है। यहां क्रिकेट नेट्स से लेकर टेनिस कोर्ट, फुटबॉल पिच और मल्लखंब एरिया बने हैं।

इन सबसे ज्यादा इस मैदान का राजनीतिक और सामाजिक इतिहास इसे खास बनाता है। समुद्र के पास स्थित शिवाजी पार्क का इतिहास इतना समृद्ध है कि लेखिका शांता गोखले ने 'शिवाजी पार्क: दादर 28: हिस्ट्री, प्लेसेज, पीपुल' नामक किताब लिखी है।

इसकी स्थापना ब्रिटिश राज के दौरान 1925 में BMC ने की थी, तब उसे माहिम पार्क के नाम से जाना जाता था।

1927 में BMC काउंसलर और स्वतंत्रता सेनानी अवंतिकाबाई गोखले के प्रयासों से इसका नाम बदलकर मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी के नाम पर रखा गया और यहां शिवाजी की एक मूर्ति भी लगाई गई।

आजादी के पहले यहां स्वतंत्रता सेनानियों की रैलियों का आयोजन होता था। शिवाजी पार्क महाराष्ट्र के कई यादगार राजनीतिक आंदोलनों का गवाह रहा है। यहां हुए संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की वजह से ही 1960 में महाराष्ट्र राज्य का जन्म हुआ।

महाराष्ट्र को बॉम्बे स्टेट से अलग कर नया राज्य बनाने की मांग करने वाले प्रमुख नेताओं में बालासाहब ठाकरे के पिता और सामाजिक कार्यकर्ता केशव सीताराम ठाकरे भी शामिल थे।

इस मैदान के पास ही स्वतंत्रता सेनानी और हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर का स्मारक भी है। सावरकर उसी इलाके के एक बंगले में रहते थे।

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