अगर एक शादीशुदा महिला को परिवार के लिए घरेलू काम करने के लिए कहा जाता है तो उसकी तुलना नौकर से नहीं की जा सकती है। अगर महिला घर के काम नहीं करना चाहती तो उसे ये बात शादी से पहले ही बता देनी चाहिए, जिससे होने वाले पति-पत्नी शादी के बारे में दोबारा सोच सकें।’
21 अक्टूबर 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट में 2 जजों की बेंच ने एक मामले में ये बातें कहीं। इस टिप्पणी के साथ ही CrPC की धारा 482 के तहत दर्ज केस खारिज कर दिया। भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि शादीशुदा महिलाओं पर की गई हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के मायने क्या हैं?
पहले जानते हैं पूरा मामला
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के भाग्यनगर थाने में एक महिला ने एक शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत में पति और ससुराल वालों पर तीन बड़े आरोप लगाए…
1. शादी के एक महीने बाद ही पति और उसके परिवार वाले महिला के साथ नौकरों जैसा व्यवहार करने लगे।
2. पति और सुसराल वालों ने चार चक्का गाड़ी खरीदने के लिए महिला के पिता से 4 लाख रुपए की मांग की। इतना पैसा देने में असमर्थता जताने पर महिला को प्रताड़ित करने लगे।
3. एक दिन बेटे के जन्म के लिए ससुराल वाले उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने कहा कि गर्भ की अवधि पूरी नहीं हुई है। इसके बाद सास और ननद ने उसके साथ मारपीट की।
महिला की शिकायत के आधार पर 4 धाराओं में FIR
महिला की शिकायत के बाद भाग्यनगर थाने में IPC की 4 धाराओं में केस दर्ज किया गया था।
- IPC की धारा 498 A: जब पति या ससुराल वाले पत्नी के साथ क्रूरता करते हैं। दोषी साबित होने पर आर्थिक जुर्माने के साथ 3 साल की सजा का प्रावधान।
- IPC की धारा 323: जब साजिश के तहत जानबूझकर चोट पहुंचाई जाती है। दोषी साबित होने पर एक साल की जेल के साथ 1,000 रुपए तक का जुर्माना।
- IPC की धारा 504: जानबूझकर अपमान करना। दोषी को 2 साल तक की जेल और आर्थिक जुर्माना।
- IPC की धारा 506: आपराधिक धमकी। दोषी को 2 साल की जेल और आर्थिक दंड।
मामला बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ में जस्टिस विभा कंकनवाडी और जस्टिस राजेश पाटिल के सामने पहुंचा। पति और ससुराल वालों की पैरवी वकील सागर भिंगारे ने की।
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