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10 November 2022

मुलायम की सीट से बहू डिंपल लड़ेंगी चुनाव:मैनपुरी सीट पर उपचुनाव में डिंपल को ही क्यों लाए अखिलेश, पढ़िए 5 बड़ी वजह

 


डिंपल यादव फिर चुनावी मैदान में उतर रहीं हैं। वह मुलायम की सीट मैनपुरी से लोकसभा उपचुनाव लड़ेंगी। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उनके नाम की घोषणा कर दी है। मुलायम के निधन से यह सीट खाली हुई है। इस सीट पर 5 दिसंबर को वोटिंग है।

डिंपल सियासी दंगल में 3 साल बाद वापसी कर रहीं हैं। 2019 में उन्होंने कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ा था। इसमें वह भाजपा के सुब्रत पाठक से हार गईं थीं। तब से वह सीधे तौर पर राजनीति में नहीं उतरीं। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कौशांबी समेत कुछ सीटों पर प्रचार किया था।

डिंपल 5वीं बार चुनाव लड़ेंगी
44 साल की डिंपल 5वीं बार चुनाव लड़ेंगी। मैनपुरी सपा की पारिवारिक सीट है। 1996 में यहां मुलायम सिंह ने पहली बार चुनाव लड़ा था। तब से इस सीट पर सपा का कब्जा है। तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव ने भी अपनी सियासी पारी की शुरुआत इसी सीट पर जीत से की थी।

मुलायम के निधन के बाद इस सीट पर तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव का नाम भी चल रहा था। हालांकि, अखिलेश ने डिंपल के नाम पर आखिरी मुहर लगाई है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मुलायम की सीट यानी उनकी विरासत पर डिंपल के उतारने के गहरे सियासी मायने भी हैं। डिंपल अब फिर सक्रिय राजनीति में आएंगी।

कन्नौज से दो बार सांसद रहीं
15 जनवरी 1978 को महाराष्ट्र के पुणे में पैदा हुईं डिंपल कन्नौज से दो बार सांसद रह चुकी हैं। उनका परिवार मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। उनके पिता रिटायर कर्नल हैं। डिंपल 3 बहनों में दूसरे नंबर की हैं। डिंपल की शुरुआती पढ़ाई सैनिक स्कूल में हुई। उनके माता-पिता अभी उत्तराखंड के काशीपुर में रहते हैं। डिंपल और अखिलेश यादव ने प्रेम विवाह किया था।

2009 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की दो सीटों फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा। बाद में अखिलेश ने फिरोजबाद सीट छोड़ दी और उपचुनाव में डिंपल को वहां से उम्मीदवार बनाया। लेकिन, डिंपल कांग्रेसी नेता राज बब्बर से चुनाव हार गईं।

2012 में कन्नौज से सपा ने डिंपल पर ही जताया था भरोसा
अखिलश यादव के कन्नौज लोकसभा सीट छोड़ने के बाद 2012 में उपचुनाव हुआ। सपा ने इस बार भी डिंपल यादव पर भरोसा जताया। वहीं, इस चुनाव में बसपा, कांग्रेस, भाजपा ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। जबकि, दो लोगों के नामांकन वापस लेने के बाद डिंपल निर्विरोध चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। वहीं 2014 लोकसभा चुनाव में भी वह कन्नौज सीट बचा ले गईं।

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