उत्तर प्रदेश में इसी साल फरवरी में विधानसभा चुनाव हुआ था. इस चुनाव में बीजेपी (BJP) ने यूपी के करहल विधान सभा क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के खिलाफ अपने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल (S. P. Singh Baghel) को उतारा था. एसपी सिंह बघेल एक जमाने में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के काफी करीबी रह चुके हैं. इसलिए उस समय यह कहा गया कि बीजेपी मुलायम सिंह यादव के पुराने करीबी एसपी सिंह बघेल के जरिए मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव को हराना चाहती है.
बीजेपी ने खेला बड़ा दांव
दरअसल, यह मुलायम सिंह यादव की विरासत पर दावा जताने की एक शुरूआत भर थी. उस दौरान एसपी सिंह बघेल ने यह दावा भी किया था कि मुलायम सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का काम अखिलेश यादव नहीं, वो लोग (बीजेपी) कर रहे हैं. बघेल करहल से विधान सभा चुनाव जरूर हार गए लेकिन उसके कुछ ही महीने बाद मुलायम सिंह यादव ने स्वयं संसद भवन में उन्हें बढ़िया चुनाव लड़ने के लिए शाबाशी भी दी थी. अब मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत पर दावा जताते हुए बीजेपी ने एक और बड़ा दांव खेल दिया है.
रघुराज सिंह शाक्य शिवपाल यादव के करीबी
मुलायम सिंह यादव के निधन की वजह से खाली हुई लोक सभा सीट मैनपुरी से बीजेपी ने जसवंत नगर के रघुराज सिंह शाक्य को चुनावी मैदान में उतारा है. शाक्य समाजवादी पार्टी के पुराने दिग्गज नेता रहे हैं और शिवपाल सिंह यादव के काफी करीबी माने जाते हैं. सपा के गढ़ मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की ही बहू डिंपल यादव (सपा उम्मीदवार) को हराने के लिए बीजेपी 'मुलायम मंत्र' का ही सहारा ले रही है. बीजेपी उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य मुलायम सिंह यादव का ही नाम लेकर चुनाव लड़ रहे हैं.
बीजेपी इस बार मुलायम मंत्र के सहारे
बुधवार को चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भरने से पहले शाक्य ने सैफई में मुलायम सिंह यादव की समाधि पर जाकर सिर झुकाकर उन्हें प्रणाम किया. साथ ही नेताजी के नाम से आशीर्वाद लिया. जाहिर है कि बीजेपी इस बार मुलायम मंत्र के सहारे ही अखिलेश यादव को मैनपुरी में मात देना चाहती है. इस चुनाव का परिणाम चाहे जो भी आए लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में बीजेपी पुरजोर तरीके से मुलायम सिंह यादव की विरासत पर अपना दावा जताती नजर आने वाली है.
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