पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए सिक्योरिटी अलर्ट जारी किया है। इस्लामाबाद में दो दिन पहले हुए आत्मघाती हमले के बाद अमेरिका ने चेताया है कि कुछ लोग एक और आतंकी हमले की तैयारी कर रहे हैं।
यह हमला इस्लामाबाद के मैरियट होटल में हो सकता है। दूतावास की ओर से जारी की गई एडवाइजरी में अमेरिका ने अपने नागरिकों को छुट्टियों के दौरान किसी भी होटल में न जाने की हिदायत दी है। साथ ही जल्द होटल मैरियट भी खाली करने को कहा है।
23 दिसंबर को फिदायीन हमले में पुलिस चेकिंग के दौरान टैक्सी में ब्लास्ट हुआ था।
फिदायीन हमले में एक पुलिस वाले की मौत
शुक्रवार यानी 23 दिसंबर को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक फिदायीन हमला हुआ था जिसमें एक पुलिस वाले की मौत हो गई थी। साथ ही इसमें 10 लोग घायल भी हुए थे। आत्मघाती हमले के बाद अफसरों ने कहा था कि पुलिस की सतर्कता से इस्लामाबाद में बड़ा हमला होने से बच गया।
पाकिस्तान के बन्नु जिले में सेना की छावनी के काउंटर टेरेरिज्म सेंटर पर 33 आतंकियों ने कब्जा कर लिया था।
बन्नु जिले में आतंकी हमले के बाद से इस्लामाबाद पुलिस अलर्ट पर
23 दिसंबर को हुए हमले से एक दिन पहले ही इस्लामाबाद की पुलिस ने बयान जारी कर बताया था कि सुरक्षा कारणों के चलते 2,024 संदिग्ध लोगों, मोटरसाइकिल और वाहनों की जांच की थी। दरअसल पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान के बन्नु जिले में तालिबानियों ने सेना के एक काउंटर टेरेरिज्म सेंटर को कब्जे में ले लिया था। इसके बाद से इस्लामाबाद समेत पाकिस्तान के कई बड़े शहरों में पुलिस को अलर्ट पर रखा गया था।
साल 2008 में मैरियट होटल पर हमला हुआ था इसमें 63 लोगों की जान गई थी।
साल 2008 में मैरियट होटल पर हमला हुआ था
अमेरिका की एडवाइजरी के पीछे साल 2008 का मैरियट होटल पर हुआ आतंकी हमला भी है। जिसमें 63 लोगों की जान चली गई थी और 250 लोग घायल हो गए थे। हमले के दौरान एक कूड़े से भरा ट्रक होटल के गेट तक पहुंचा और विस्फोट हो गया।
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान में आतंक फैल रहा
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में आंतकी संगठन TTP को मजबूती मिली है। आतंकवाद की फैक्ट्री कहे जाने वाले पाकिस्तान में अब तक जितने भी आतंकी संगठन हैं, उनमें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान सबसे खतरनाक माना जाता है। इसी संगठन ने मलाला यूसुफजई पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसी ने पेशावर में सैनिक स्कूल पर हमला करके 114 बच्चों को मार दिया था।
दरअसल, पाकिस्तानी तालिबान की जड़ें जमना उसी वक्त शुरू हो गई थीं, जब 2002 में अमेरिकी कार्रवाई के बाद अफगानिस्तान से भागकर कई आतंकी पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छुपे थे। इन आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो स्वात घाटी में पाकिस्तानी आर्मी की मुखालफत होने लगी। कबाइली इलाकों में कई विद्रोही गुट पनपने लगे।
ऐसे में दिसंबर 2007 को बेतुल्लाह महसूद की अगुआई में 13 गुटों ने एक तहरीक यानी अभियान में शामिल होने का फैसला किया, लिहाजा संगठन का नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान रखा गया। शॉर्ट में इसे TTP या फिर पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है। यह अफगानिस्तान के तालिबान संगठन से अलग है, लेकिन इरादे करीब-करीब एक जैसे हैं। दोनों ही संगठन शरिया कानून लागू करना चाहते हैं।
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