भोपाल। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि नई शिक्षा नीति में कई ऐसे तथ्य हैं, जो हमें अपनी प्राचीन विरासत की ओर ले जाते हैं। हम भारत के बारे में कितना जानते हैं, यह आज हमारे सामने प्रश्न है। अपने देश की संस्कृति को फिर से लोगों के बीच ले जाने के लिये विद्या भारती कई वर्ष से प्रयत्न कर रही है। हमारी सांस्कृतिक विरासत और परम्परा के पुनर्विचार के लिये विद्या भारती शिक्षा समागम का आयोजन करती रही है। मैं आज के इस उदात्त सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिये सभी को साधुवाद देता हूँ। उज्जैन की शैक्षणिक-सांस्कृतिक विरासत अद्वितीय है। यहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की, यह कालिदास की नगरी के नाम से सुशोभित होती है, यहाँ राजा विक्रमादित्य के वराहमिहिर जैसे नवरत्नों ने जन्म लिया और भारतीय ज्ञान परम्परा की सलिला सतत प्रवाहित रही है।
राज्यपाल श्री पटेल विक्रम विश्वविद्यालय में शिक्षा समागम कार्यक्रम में भारतीय ज्ञान परम्परा पर एक दिवसीय कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि देश में राणा सांगा की शौर्य गाथा गूंजती रहती है। वर्तमान समाज में विकृति के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। संघ परिवार की कई संस्थाएँ सेवा के प्रकल्प में लगी हुई है, सेवा कार्यों को और अधिक विस्तार देना होगा, काम बहुत बाकी है। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि जब से वे मध्यप्रदेश में आये हैं, तब से निरन्तर पिछड़े और वंचित समाज के कार्यक्रम में जा रहे हैं। इन समाजों के उत्थान के कार्य निरन्तर करने होंगे। वसुधैव कुटुंबकम की बात करने वाली देश की संस्कृति का पालन करते हुए हमें सभी की चिन्ता करनी चाहिये। राज्यपाल श्री पटेल ने उच्च शिक्षित लोगों द्वारा कामगारों के साथ किये जाने वाले दुर्व्यवहार को भी रेखांकित किया और कहा कि नई पीढ़ी को यह समझाने की आवश्यकता है कि सभी का आत्म-सम्मान बनाये रखना आवश्यक है।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उज्जैन में हर मंदिर की अपनी विशेषता है। उन्होंने कहा कि डोंगला में शंकु यंत्र स्थापित है। इस यंत्र से 21 जून एवं 22 दिसम्बर के दिन समय की माप का सटीक दर्शन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारी परम्परा में अनेक उदाहरण हैं, जिनमें हमें अपनी संस्कृति के दर्शन होते हैं। मंत्री डॉ. यादव ने विक्रम और बेताल की कथा तथा विक्रमादित्य की 32 पुतलियों की कहानी के बारे में कहा कि बेताल पच्चीसी की पच्चीस कहानियों में सहजता से ज्ञान की बात कही गई है। ज्ञान के साथ चतुराई भी आवश्यक है, यह बात इन कहानियों से स्पष्ट होती है। उन्होंने कहा कि हम अपनी ज्ञान परम्परा को बिना भाषा और बोली के एक-दूसरे तक सम्प्रेषित करने की कला वर्षों से जानते रहे हैं।
उज्जैन शिक्षा समागम कार्यक्रम में भारतीय ज्ञान परम्परा एवं भारतीय भाषा संवर्धन की एक दिवसीय संगोष्ठी का विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयन्ती हॉल में राज्यपाल श्री पटेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया।
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