रायपुर। विधानसभा से आरक्षण संशोधन विधेयक को पास हुए 50 दिन से ज्यादा हो गए हैं। लेकिन अब तक विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं हो पाया है। अब इसे लेकर राज्यपाल ने नया बयान दिया है। उन्होंने हस्ताक्षर करने को लेकर कहा कि अभी मार्च तक इंतजार करिए।
इस बयान के बाद आरक्षण का मसला और दो महीनों के लिए खींच गया है। ये और कुछ दिन अटका ही रहेगा। बीते 53 दिनों से आरक्षण बिल राजभवन में है। राज्यपाल के हस्ताक्षर न करने की वजह से काफी विवाद भी हो रहा हैं।
राज्यपाल ने ये कहकर साफ कर दिया है कि मार्च से पहले हस्ताक्षर वो नहीं करेंगी। फिलहाल आरक्षण विधेयक के न होने से बहुत सी भर्ती प्रक्रियाएं और एडमिशन के काम अटके हुए हैं। क्योंकि इस वक्त प्रदेश में आरक्षण की कोई व्यवस्था ही लागू नहीं है। पीएससी तक अपनी भर्तियों को बिना आरक्षण रोस्टर के जारी कर चुका है। बता दें कि 1 और 2 दिसंबर 2020 को विधानसभा के विशेष सत्र में आरक्षण संशोधन विधेयक पारित किया गया था। लेकिन इसे पास हुए 52 दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक राज्यपाल अनुसुइया उइके ने विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं किया है। इसे लेकर कांग्रेस लगातार जल्दी साइन करने की मांग कर रही है। मंत्रीगण भी इस संबंध में राज्यपाल से कई बार अनुरोध कर चुके हैं...वही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा की इस पर कहा की कोई मूहर्त देख रही है क्या, यह युवा के भविष्य का सवाल है ।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर 2022 को फैसला सुनाते हुए 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार के बाद सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संबंधी दो संशोधन विधेयक पारित कराए। इसमें आरक्षण को बढ़ाकर 76% कर दिया गया था। 1 दिसंबर 2022 को गहमागहमी के बीच छत्तीसगढ़ में आरक्षण संसोधन विधेयकों को पास करा लिया गया. इसके अनुसार, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था होनी थी। लेकिन, बिल राजभवन पहुंचा को वहां अटक गया. राज्यपाल ने अपने तर्कों के आधार पर इसमें हस्ताक्षर नहीं किए!
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