रायसेन। मध्यप्रदेश में आदिवासियों की जमीन पर कब्जे और उन्हें हड़पने के रोज नए नए मामले सामने आ रहे हैं। ताजा मामला रायसेन जिले सुल्तानपुर क्षेत्र का है जहां एक आदिवासी की जमीन को दलालों ने मिलकर फर्जी तरीके से बेंच दिया। और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। उल्टा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन का नामांतरण भी कर दिया गया। लेकिन कुछ ही महीने बाद जब इस मामले की दलाली का एक वीडियो वायरल हुआ तब खुलासा हुआ की यह जमीन किसी अन्य व्यक्ति ने आदिवासी व्यक्ति बनकर किसी अन्य को बेंच दी है। अब स्थानीय प्रशासन ने इस मामले स्वयं संज्ञान में लेकर नामांतरण को खारिज कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए।
सुल्तानपुर के ग्राम गुन्दरई नीमढाना में एक आदिवासी जीवन मुल्ला की 5 एकड़ मेन रोड की जमीन को दलालों ओर भू माफियाओं ने फर्जी तरीके से ग्राम बारला के रहने वाला हीरालाल लोधी जिसने अपना नाम बदलकर जीवन मुल्ला के नाम के फर्जी आधार कार्ड एवं अन्य दस्तावेज जैसे पेन कार्ड बैंक पासबुक आदि बनवाकर भोपाल के एक दंपत्ती को ओनेपौने दामों बेंच दी गई। जिसका रायसेन के एक दलाल कथित पत्रकार ने 15 लाख रुपये लेकर अधिकारियों की मिली भगत से नामांतरण भी करवा दिया। लेकिन कुछ दिनो बाद जब ऊक्त दलाल का पैसों के लेनदेन के हिसाब से संबंधित एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जिसके बाद तहसील कार्यालय के होश उड़ गए।
अब उन्होंने ऊक्त मामले में दुबारा जांच कराई तो पूरे मामले का खुलासा हो गया। ग्राम गुन्दरई के चौकीदार ने पुष्टि की कि जिस व्यक्ति ने जीवन सिंह बनकर रजिस्ट्री करा कर फर्जी दस्तावेज लगाए हैं वह जीवन सिंह नहीं बल्कि बारला गांव का हीरालाल लोधी है। जिसके बाद पटवारी ने भी अपनी रिपोर्ट में उक्त मामले में फर्जी दस्तावेज होने की बात कही। अब इस मामले में एडीएम रायसेन कोर्ट ने पटवारी को सस्पेंड करने और फर्जी दस्तावेज के आधार पर इस मामले में संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। इसके बाद रायसेन तहसीलदार में सुल्तानपुर थाना प्रभारी को पत्र लिखकर संबंधित आरोपियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कर कार्यवाही करने के निर्देश दिये है।
इस पूरे मामले ने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि मध्यप्रदेश में तेजी से आदिवासियों की जमीन हथियाने के लिए सरकार के कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए नए-नए तरीके अपनाए जाने लगे जिससे गरीब आदिवासी भूमिहीन होते जा रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही रायसेन तहसील में ही भारदा चंदौरा गांव में भी बड़े पैमाने पर आदिवासियों की जमीन हड़पने का मामला सामने आया था। जिसकी जांच अभी तक पेंडिंग बनी हुई है अब देखना होगा कि इस मामले में शिवराज सरकार के अधिकारी कितनी गंभीरता से कार्रवाई को अंजाम देते हैं।
15 January 2023
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दलालों ने फर्जी तरीके से बेची आदिवासियों की जमीन
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MP24X7...यानी समय, सत्ता और समाज के बनाए हुए नियम के खिलाफ जाने का मतलब है। सही मायनों में सुधारवाद का वह पथ या रास्ता है। जो अंतिम माना जाता है, लेकिन हम इसे शुरुआत के रूप में ले रहे हैं। सार्थक शुरुआत कितनी कारगर साबित होगी? यह तो भविष्य तय करेगा। फिर भी हम ब्रह्मपथ पर चल पड़े हैं, क्योंकि यह अंतिम पथ नहीं है। सुधारवाद की दिशा में एक छोटा कदम है।.
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