सिरोंज। सिरोंज के बेरखेड़ी ग्राम के स्कूल में पदस्थ शिक्षिका फरहदुन्नीसा खान अपने अलग अंदाज के लिये प्रेरणा का स्रोत बन गई है। जो विद्यार्थी स्कूल से गैर हाजिर रहते है उनको स्कूल लाने के लिये यह शिक्षिका उनके घर पहुँच जातीं है। साथ मे ढोलक ओर स्कूल के बच्चे भी होते है। फिर घर पर पुकार लगाई जाती है कि अमुक की मम्मी अमुक को स्कूल भेजो - अमुक के पापा अमुक को स्कूल भेजो।
इस नवाचार के चलते इस स्कूल में 95 प्रतिशत विद्यार्थी उपस्थित रहते है। उनके इस नवाचार को सरकार ने भी सराहा ओर राज्यस्तरीय "बिजू भाई सम्मान" राज्यपाल महोदय द्वारा दिया गया। गांव वाले भी अपने स्कूल टीचर की भूरी भूरी प्रशंसा करते है। गोलू ने कहा कि मेडम के प्रयासों के चलते बच्चे स्कूल जाकर पढ़ाई कर पा रहे है। वही मौजूद नसरीन बानो ने कहा कि हमारी मेडम बहुत अच्छी हैं, गांव में घूमकर घर घर से बच्चे जमा कर स्कूल ले जाती है। आज अमन स्कूल नहीं आया था, उसको बुलाने का मेडम तरीका हमने भी अपनी आंखों से देखा।
कई तरह के नवाचार करती रहती हैं
टीचर-फरहद टीचर ने बताया कि सब बच्चे स्कूल आयें इसके लिये वे हमेशा कुछ न कुछ करती रहती है। उन्होंने एक डायरी बनाई जिसमे सारे बच्चों के हस्ताक्षर करवाये। इसके बाद दूसरा काम यह किया कि उपस्थित बच्चों के माता पिता के नाम बोर्ड पर लिख दिये। जब अनुपस्थित बच्चों को इसका पता चला तो वे भी स्कूल आने लगे ताकि उनके माँ बाप का नाम भी बोर्ड पर लिखा जाए। फिर यह ढोलक वाला तरीका तो है ही। फरहद टीचर कहती है कि भगवान ने गुरु बनाया है तो मैं अपना काम पूरी ईमानदारी और निष्ठा से करने का प्रयास कर रही हूं। उनकी कर्तव्यपरायणता दूसरे लोगो के लिये प्रेरणा का कार्य कर रही है।
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