वाणिज्यिक कर विभाग का पहले जानकारी देने से इंकार
सतना के आरटीआई आवेदक विकास मिश्रा ने एक आरटीआई लगाकर वाणिज्यिक कर विभाग सतना में कार्यरत एक कर्मचारी गजेंद्र मिश्रा की नियुक्ति पत्र एवं पदस्थापना की जानकारी मांगी। पर विभाग में कार्यरत भावना शर्मा लोक सूचना अधिकारी असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्यिक कर ने गजेंद्र मिश्रा से जानकारी नहीं देने के लिए आपत्ति बुला करके इस आधार पर जानकारी देने से मना कर दिया कि चाही गई जानकारी गजेंद्र मिश्रा की व्यक्तिगत जानकारी है। इसके बाद मामला प्रथम अपील में विभाग के ही संभागीय उपायुक्त के पास पहुंचा उपायुक्त ने प्रकरण में जानकारी देने के आदेश जारी कर दिए। पर इस आदेश के बावजूद भी लोक सूचना अधिकारी ने जानकारी नहीं दी।
पहली बार मात्र 2 दिन में हुई पूरी सुनवाई
जिस अधिकारी गजेंद्र मिश्रा की जानकारी मांगी गई थी उसने प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के विरुद्ध जानकारी नहीं देने के लिए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के समक्ष एक अर्जेंट द्वितीय अपील दायर कर दी। वही जानकारी मांगने वाला पक्ष भी राज्य सूचना आयोग के समक्ष जानकारी देने की गुहार लेकर पहुंच गया। अर्जेंट हियरिंग के आवेदन पर तुरंत सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपील आने की दिन पर ही प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के क्रियान्वयन पर स्टे आर्डर जारी कर दिया और फिर अगले दिन ही सुनवाई करके इस प्रकरण में जानकारी देने के आदेश भी जारी कर दिए। मार्च 48 घंटे के अंदर हुई इस पूरी कार्रवाई के लिए सिंह ने व्हाट्सएप के माध्यम से नोटिस जारी किए और उसी माध्यम से जवाब भी बुलवाएं और फोन और समक्ष मे हाइब्रिड सुनवाई करते हुए फैसला की कॉपी भी व्हाट्सएप के माध्यम से भेज दिया।
नियुक्ति पत्र व्यक्तिगत जानकारी नहीं है
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने वाणिज्यिक कर विभाग के प्रकरण में फैसला सुनाते हुए यह साफ किया अप्वाइंटमेंट लेटर की जानकारी आरटीआई अधिनियम के तहत देने से सरकारी भर्ती में होने वाली धांधली पर रोक लगेगी। सिंह ने कहा कि नियुक्ति पत्र में मात्र अधिकारी या कर्मचारी के नियुक्ति के आदेश के साथ सेवा शर्तों की जानकारी होती है। और यह जानकारी व्यक्तिगत श्रेणी में नहीं हो सकती है क्योंकि यह कानूनों नियमों के अनुरूप ही होती है। इसके अलावा नियुक्ति पत्र में वेतन की जानकारी होती है और वेतन की जानकारी पूर्व से ही सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 (1) X (B) के तहत वेबसाइट पर विभाग के द्वारा स्वतः देने का कानूनन व्यवस्था है। ऐसे मे इस जानकारी को भी व्यक्तिगत नहीं कहा जा सकता। सिंह अपने आदेश में यह कहा कि इस प्रकरण में ना लोक सूचना अधिकारी नाही तृतीय पक्ष गजेन्द्र मिश्रा एक भी तथ्य आयोग के समक्ष नहीं रख पाए जिससे यह स्थापित होता हो कि जानकारी व्यक्तिगत है और उसके देने से किसी व्यक्ति विशेष की नीजता भंग हो रही हो।
नियुक्ति पत्र के बारे में क्या कहता है RTI कानून
राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि नियुक्ति पत्र एवं पदस्थापना की की जानकारी आरटीई एक्ट की धारा 2 (i ) के तहत "रिकॉर्ड" की श्रेणी में आती है एवं धारा 2 (f) के तहत "सूचना" की श्रेणी में आती है। सिंह ने पदस्थापना की जानकारी पर कानूनी पहलू को स्पष्ट करते हुए कहा कि पदस्थापना की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर स्वयं विभाग समय-समय पर उपलब्ध कराता है। जाहिर इसे व्यक्तिगत सूचना के आधार पर रोकना विधिक रूप से गलत है।
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