बुरहानपुर। बुरहानपुर के इंदिरा कॉलोनी में रहने वाला युवक दीपेंद्र गराई तुर्की में आये भूकम्प के बाद वहां के लोगो के लिए मसीहा के रूप में उभरकर सामने आया। और यंहा के पीड़ितों के लिए उसने अपने रेस्टॉरेंट और होटल का भोजन भंडार खोल दिया। साथ ही यंहा के पीड़ितों के लिए अपने रेस्टॉरेंट और होटल में हर व्यक्ति को फ्री में भोजन दिया जा रहा है। प्रतिदिन इन रेस्टॉरेंट और होटल में 30 से लेकर 100 लोगो खाना खा रहे है। जिससे बुरहानपुर के लाल का नाम तुर्की के मसीहा के तौर पर सामने आया है।
बुरहानपुर जिले के इंदिरा कॉलोनी निवासी दीपेंद्र गराई तुर्की में एक होटल और तीन रेस्टोरेंट्स चलाता हैं। उसने अपनी पढ़ाई होटल मैनेजमेंट से की है। सभी जगह काम करने के बाद वह तुर्की पहुंचा, तुर्की की तबाही में भारत का लाल बना पीड़ितों का मसीहा। तुर्की के पीड़ितों के लिए निशुल्क खाने की व्यवस्थाये की गई है। तुर्की भूकंप पीड़ितों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं है। जहां एक ओर तुर्की में भूकंप आने के चलते तबाही मची हुई है, लेकिन एक ऐसा शख्स भी है जो कि मध्यप्रदेश के बुरहानपुर का रहने वाला जो नमस्ते इंडिया के नाम से तुर्की में अपना होटल चलाता है।
भूकंप पीड़ितों के लिए मसीहा से कम नहीं
ये शख्स है दीपेंद्र गराई जो की भूकंप पीड़ितों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं है। क्योंकि इस शख्स ने अपने चारों रेस्टोरेंट में पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था निशुल्क कर दी है। दरअसल मध्यप्रदेश के बुरहानपुर के इंदिरा कॉलोनी में दीपेंद्र गराई के माता-पिता रहते हैं। और उनके एक भाई और एक बहन भी है। उनके पिता ने बताया कि मेरा बेटा तुर्की में रहता है, एक होटल और तीन रेस्टोरेंट्स चलाता है। उसने अपनी पढ़ाई होटल मैनेजमेंट से की है। सभी जगह काम करने के बाद वह तुर्की पहुंचा और वहां पर एक होटल और तीन रेस्टोरेंट खोले जिनका नाम नमस्ते इंडिया है दीपेंद्र के पिता ने आगे कहा कि काफी मेहनत करने के बाद आज वहां अच्छा खासा तुर्की में कमा रहा है और सुखी है। लेकिन हमें उसी से पता चला कि तुर्की में भूकंप आ गया है और चारों तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है। भारत देश भी तुर्की की अन्य तरीके से सहायता कर रहा है और जिसको जैसा लग रहा है वह उस प्रकार भूकंप पीड़ितों की मदद कर रहा है। दीपेंद्र गराई ने माता-पिता से प्रेरणा लेकर अपने एक होटल और तीनों रेस्टोरेंट में भूकंप पीड़ितों के लिए भोजन और रहने की व्यवस्था निशुल्क कर दी है। जब पता चला तो पिता को बेटे पर हुआ फक्र।
बचपना से ही लोगों का मददगार
बुरहानपुर के इंदिरा कॉलोनी में दीपेंद्र के माता-पिता रहते हैं. वह बताते हैं कि दीपेंद्र बचपन से ही लोगों की मदद करना और किसी की तकलीफ को देखकर तुरंत उसकी मदद करने के लिए तैयार हो जाते थे। तब उस समय हमें ऐसा लगता था कि बड़ा होकर यह क्या कर पाएगा और इसकी यह प्रवृत्ति के चलते कहीं ना कहीं यह अपना नुकसान भी कर बैठेगा। क्योंकि कहीं ना कहीं लोग इसकी इस प्रवृत्ति का गलत फायदा भी उठा सकते हैं। लेकिन आज हमें दीपेंद्र पर फक्र होता है कि दीपेंद्र तुर्की में आए भूकंप में पीड़ितों की मदद कर रहा है और उसने अपना एक होटल और तीनों रेस्टोरेंट में पीड़ितों के लिए खाना रहना निःशुल्क कर दिया है।
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