शहडोल । आदिवासी बाहुल्य जिला शहडोल संभाग में अंधविश्वास के कारण बच्चों की गर्म सलाखों से दागने की कुप्रथा लंबे समय से चली आ रही है। कुछ मामलों में तो दगना कुप्रथा के कारण मासूमों की मौत तक हो जाने की बाते सामने आ चुकी हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला शहड़ोल सभाग के उमरिया व शहड़ोल जिले से सामने आया है।
शहड़ोल जिले के एक 5 साल की मासूम बच्ची काव्या की सांस लेने में तकलीफ के चलते बच्ची को गर्म सलाखो से दागा गया, जिससे बच्ची की ज्यादा हालात बिगड़ने पर उपचार के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था , जंहा उपचार के दौरान बच्ची की मौत के बाद दागने वाली दाई के खिलाफ मामला दर्ज कर मासूम का दफन कर दिया गया था, अब उस बच्ची का शव को कब्र से बाहर निकलवाया गया। बताया जा रहा है कि मासूम की मौत के कारण पर सवाल उठने, विशेषज्ञ और प्रशासन के आलाधिकारी की बात में विरोधाभाष सामने आने के बाद ऐसा किया जा रहा है। ताकि मासूम की मौत का सही कारणों का पता लग सके। इसी तरह एक मामला अभी हाल में ही जिले के सिंहपुर से भी सामने आया था ,जहाँ बच्ची को सांस लेने में हो रही परेशानी के चलते अन्धविश्वस के फेर में दगना कुप्रता के चलते माशूम को गर्म सलाखो से की बार दागा गया था , जंहा उपचार के दौरान बच्ची की मौत के बाद उसे भी दफन कर दिया गया था, लेकिन मामला तूल पकड़ने के बाद उसका भी शव कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम कराया गया था , की अब एक बार पुनः यह घटना दोहराई गई, जिसको लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है।
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