ग्रामीणों को भी जंगल नहीं जाने की
सलाह दी जा रही है। वन विभाग के अनुसार सतपुड़ा से मेलघाट कोरिडोर होते हुए बाघ महाराष्ट्र के जंगल की ओर निकलते हैं । कई बार यह बाघ जिले के रहटगांव ,टेमागांव वन परिक्षेत्र में आ जाते हैं। 2 साल पहले भी बाघ के हमले में से एक आदिवासी की मौत हो गई थी । इसके 1 दिन बाद बाघ के हमले में 1 बीट गार्ड घायल हो गया था। शनिवार को पहली बार बाघिन वन विभाग की टीम आग बुझाने के दौरान गए थे। जिसमें भागते हुए टीम को नजर आए 2 दिन पहले बाघिन कैमरे में कैद हुई है। सूत्रों के मुताबिक बाघिन करीब 1 सप्ताह से खुमी और केलझिरी बीट में है । बाघिन सतपुरा टाइगर रिजर्व से आई होगी।
2 साल पहले बाघ के हमले से एक आदिवासी की हुई मौत
2 साल पहले 9 जनवरी2021 को केलझिरि बीट में नर बाघ दिखा था। उसने 12 जनवरी को लकड़ी काटने गए जंगल के आदिवासी रतन पर हमला किया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। ग्रामीणों ने बाघ को कुल्हाड़ी मार दी थी । अगले दिन भागने बीट गार्ड हरिओम जगनवार पर हमला कर उसका एक घुटना चबा लिया था । बीट गार्ड को इलाज के लिए भोपाल भेजा गया था। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की टीम ने बाघ को पकड़कर भोपाल भेजा था। इलाज के बाद 4 साल के नर बाघ को सतपुड़ा के जंगल में छोड़ा गया था।
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