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28 March 2023

मेपकॉस्ट इसरो, नासा और वनविभाग के सयुक्त तत्वधान में बायोमास मेपिंग


भोपाल।
मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकॉस्ट) ने विज्ञान के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। विज्ञान के क्षेत्र में किये जाने वाले नवाचारों के इसी क्रम में मेपकॉस्ट ने वन विभाग के सहयोग से फॉरेस्ट बायोमास की मैपिंग का कार्य शुरू किया है। खास बात यह है कि मेपकास्ट द्वारा की जाने वाली इस मैपिंग से मिले परिणाम का केलीब्रेशन और वेलीडेशन (मिलान) जनवरी 2024 में लांच होने वाले निसार सेटेलाइट डाटा से किया जायेगा। यह सेटेलाइट नासा और इसरो के संयुक्त तत्वाधान में शुरू किये गये नासा इसरो सिंथेटिक अर्पचर राडार (निसार) प्रोजेक्ट का हिस्सा है। मेपकास्ट के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जीडी बैरागी ने बताया कि सेटेलाइट में मुख्य रूप से दो बैंड (एल और एस बैंड) भेजे जा रहे हैं। एक हेक्टेयर  के प्लाट्स से प्राप्त किये गये डेटा का मिलान सेटेलाइट के एल बैंड सेंसर के माध्यम से किया जायेगा। यह मध्यप्रदेश के लिए वन वायोमास आंकलन के लिए उपयोगी होगा क्योकि हम बायोमास की मैपिंग सेटेलाइट के माध्यम से भी जांच सकेंगे।


होशंगाबाद जिले को बनाया साइड


डॉ. बैरागी ने बताया कि यह काम मेपकास्ट और इसरो की टीम द्वारा किया जा रहा है। फॉरेस्ट बायोमास की मैपिंग के लिए हमने होशंगाबाद जिले को चिन्हित किया है। यहां एक हेक्टेयर के 10 प्लाट्स पर स्थायी तौर पर मैपिंग का कार्य किया जायेगा। स्थायी प्लाट्स पर वर्ष में एक बार भौतिक रूप से बायोमास मैपिंग का कार्य किया जायेगा। इसमें पेड़ की ऊंचाई, मोटाई, शाखाओं की गिनती आदि को नापकर बायोमास निकालेंगे।


नासा की टीम ने किया दौरा


डॉ. बैरागी ने बताया कि विगत दिनों इस काम के लिए इसरो और नासा की टीम के विशेषज्ञ भोपाल पहुंचे। इसमें नासा से छह और इसरो से दो विशेषज्ञ शामिल थे। सभी सदस्यों ने चिन्हित किये गये प्लाट्स को देखा और वहां पर बायोमास हेतु किये जा रहे कार्य को देखा। इस परियोजना से प्राप्त परिणाम से सेटेलाइट के माध्यम से वन वायोमास की मैपिंग की जा सकेगी जिसका उपयोग वन और पर्यावरण संरक्षण मे होगा।

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