कोलकाता। जब भी लोकसभा चुनाव नजदीक आते हैं विपक्षी एकता का नारा बुलंद होने लगता है। लेकिन चुनाव आते-आते ये नारा एक दूसरे की काट में ही कहीं खो जाता है। इस बार भी बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तरफ से विपक्षी एकता की कवायद की जा रही है। लेकिन इस कवायद के बीच विपक्षी एकता का पहला विकट भी गिर गया है। यानि चुनाव नजदीक आते ही विपक्षी एकता में फूट शुरु हो गई है। और इस फूट की शुरुआत कि है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने, जिन्होने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले की दम पर लड़ेगी। किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। TMC का गठबंधन जनता के साथ होगा। मतलब साफ है कि तृणमूल कांग्रेस ने विपक्षी एकजुटता की इस मुहिम से खुद को अलग कर लिया है।
कांग्रेस पर ममता का निशाना
विपक्षी एकता में टीएमसी और कांग्रेस की तनातनी हमेशा से सबसे बड़ी बाधा रही। दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं। इस बार भी यही होता दिख रहा है। ममता बनर्जी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस पर आग बबूला हो रही हैं। उन्होने तो यह तक कह दिया कि जो लोग सीपीआई और कांग्रेस को वोट दे रहें हैं। असल में वो बीजेपी को वोट दे रहे हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा- जो लोग भाजपा को हराना चाहते हैं, मेरा विश्वास है कि वे हमारे पक्ष में वोट करेंगे। उन्होंने दावा किया कि लोग उनके साथ हैं और उम्मीद जताई कि 2024 लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही होगा। दरअसल, बंगाल CM त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के नतीजों के संदर्भ में बोल रहीं थी। ममता ने कहा- जो लोग CPI(M) और कांग्रेस को वोट दे रहे हैं, असल में वो भाजपा को ही वोट दे रहे हैं। यह सच्चाई आज ही सामने आ गई है। बता दें कि TMC को त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली है।
कांग्रेस-TMC में तनातनी
ममता का बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले बुधवार को तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन के जन्मदिन पर मंच से विपक्षी एकजुटता का उदाहरण पेश किया गया। मंच से कांग्रेस प्रेसिडेंट मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी विपक्षी पार्टियों से एक साथ आने की अपील की। लेकिन ममता बनर्जी ने विपक्षी एकता से खुद को अलग कर बड़ा झटका दे दिया है। यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस पर TMC की ओर से तल्ख टिप्पणी हुई हो। एक समय ममता बनर्जी यह तक कह चुकी हैं कि UPA क्या है, अब कोई UPA नहीं है। हमें तो मजबूत विकल्प की जरूरत है। यह बयान ममता ने पिछले साल मुंबई में NCP चीफ शरद पवार से मुलाकात के दौरान कही थी। विपक्षी एकता में टीएमसी और कांग्रेस की तनातनी सबसे बड़ी बाधा रही। दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं। वहीं टीएमसी के बयानों से साफ है कि वह राहुल गांधी को नेता या पीएम पद का उम्मीदवार मानने को राज नहीं है, जबकि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को भविष्य के प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे हैं।
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