इसके बाद से ही विपक्ष एक जुट होकर विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया। भारी हंगामे के बाद कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित की, इसके बाद भी जब विपक्षी विधायक नहीं माने तो विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया। बता दें कि नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित कांग्रेस के सभी विधायकों ने जीतू पटवारी के समर्थन में सदन में लड़ाई लड़ने का ऐलान किया था, जो शुक्रवार को सदन में देखने को भी मिला।
अध्यक्ष को नैतिकता के आधार पर करना चाहिए काम
विपक्ष ने शुक्रवार को संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस में आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बिना किसी वैध कारण के तानाशाहीपूर्ण तरीके से पूरे सत्र के लिए निलंबित किया गया है। स्पीकर ने यह सह सत्ता पक्ष के दबाव में किया है। कांग्रेस विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि हम सब नियम-प्रकिया जानते हैं। ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, जब अध्यक्ष के खिलाफ ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है। नियम-प्रक्रिया की बात अलग है, लेकिन अध्यक्ष को नैतिकता के आधार पर काम करना चाहिए।
लेटर में नाथ के साइन नहीं होने पर नरोत्तम ने कसा तंज
कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। नेता प्रतिपक्ष गोविदं सिंह ने विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को प्रस्ताव की सूचना दी। इसमें 48 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। जबकि कमलनाथ के हस्ताक्षर ही नहीं थे। संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विपक्ष के प्रस्ताव के पत्र को दिखाते हुए कहा कि 11 बजे तक मुझे सूचना देनी थी, लेकिन सूचना इसके बाद दी गई। जो लेटर विपक्ष की ओर से दिया गया, उसमें सदन की संख्या के आदेश से कम विधायकों के हस्ताक्षर थे। सबसे बड़ी बात कमलनाथ ने प्रस्ताव पर सहमति भी दे दी, लेकिन साइन ही नहीं किए। नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसा कि जीतू पटवारी को कांग्रेस ने अकेला छोड़ दिया है। पटवारी मामले में कांग्रेस की हालत शोले फिल्म के डायलॉग की तरह हो गई है… आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ.. बाकी मेरे पीछे आओ।
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