यह जानकारी मांगी गई थी
आरटीआई आवेदक नासिर खान ने नगर पालिका परिषद मैह
र से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उसके वार्ड मे किन-किन लोगों को आवास मिला है उन हितग्राहियों की सूची की नकल मांगी थी। खान का आरोप है कि उसके वार्ड में अपात्र लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा दे दिया गया है, और यही वजह है कि नगर पालिका परिषद जानकारी को छुपा रहा है।
PMAY की जानकारी RTI के दायरे में: सिंह
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में ये स्पष्ट किया कि PMAY की जानकारी आरटीआई अधिनियम की परिधि में आती है। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी RTI अधिनियम की धारा 2 (f) के तहत सूचना की श्रेणी में है और धारा 2 (i) रिकॉर्ड की श्रेणी में है। अधिनियम की धारा 7 (1) के तहत इसे निर्धारित समय सीमा 30 दिन की अवधि में आरटीआई आवेदक को उपलब्ध करानी चाहिए थी।
PMAY के हितग्राहियों की सूची वेबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिए: सिंह
सिंह ने इस अपील प्रकरण की सुनवाई करते हुए कहा कि ऐसी जानकारी जिसमें जनता के लिए शासन की तरफ से चलाई गई योजनाओं के तहत राशि आवंटित किया जाता हो या ऐसे कार्यक्रम जिसमें फायदाग्राहीयों के ब्योरे सम्मिलित हैं। इस तरह की समस्त जानकारियों सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 (1) b (xii) के तहत स्वत: (suo moto disclosure) देय है। इस तरह की जानकारी को वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाना चाहिए ताकि जनता को आरटीआई लगाकर जानकारी लेने की आवश्यकता ना रहे। सिंह ने कहा कि अगर शासन द्वारा इस तरह की जानकारियों को वेबसाइट के माध्यम से प्रकाशित किया जाता है तो इससे योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि इन योजनाओं का लाभ इसके असली हक़दार तक पहुंच सकेगा। जानकारी और रिकॉर्ड सामने आने से योजनाओं के क्रियान्वयन में कसावट आएगी साथ ही प्रशासन की इन योजनाओं का लाभ उठाने वाले हितग्राहियों के प्रति जवाबदेही भी तय होगी और योजनाओं में भ्रष्टाचार की शिकायतों पर अंकुश लगेगा। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की प्रस्तावना में जवाबदेही, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर अंकुश तीनो ही उद्देश्य निहित है।
30 दिन में मिलने वाली जानकारी को देने में 6 महीने लगाएं
सिंह ने अपने आदेश में कहा कि इस प्रकरण में प्रधानमंत्री आवास योजना की हितग्राहियों की वांछित जानकारी मात्र 10 पृष्ठ की थी जो कि बेहद सरल एवं सुलभ रूप में कार्यालय में ही मौजूद थी पर सूचना का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन करते हुए इस जानकारी को आरटीआई आवेदक को उपलब्ध कराने में 6 महीने से ऊपर का समय लगा दिया। प्रकरण में आयोग द्वारा की गई जांच से स्पष्ट है कि लोक सूचना अधिकारी चीफ म्युनिसिपल ऑफिसर द्वारा समय सीमा में कार्रवाई करते हुए कार्यालय में शाखा लिपिक श्री रोहिणी तिवारी को 7 दिन के अंदर जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। सिंह के मुताबिक सूचना का अधिकार अधिनियम में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को लोक सूचना अधिकारी द्वारा अगर सूचना उपलब्ध कराने के लिए अनुरोध किया जाता है तो धारा 5 (4) के तहत उक्त अधिकारी या कर्मचारी की भूमिका सम लोक सूचना अधिकारी/डीम्ड पीआईओ के रूप में स्थापित होती है। वही धारा 5 (5) के तहत डीम्ड पीआईओ को सहयोग करते हुए जानकारी उपलब्ध करानी होती है। यहा डीम्ड पीआईओ श्री रोहिणी तिवारी द्वारा जानबूझकर अपने वरिष्ठ अधिकारी के जानकारी देने के आदेश को नजरअंदाज करते हुए धारा 5(5) के उल्लंघन के साथ जानकारी 30 दिन में उपलब्ध ना करा कर धारा 7 (1) का भी उल्लंघन किया गया है। सिंह ने रोहिणी तिवारी की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए कुल ₹25000 जुर्माने के स्थान पर तिवारी के ऊपर ₹12000 का जुर्माना लगाया है।
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