इस केस की सरकार की ओर से पैरवी कर रहीं स्पेशल डीजीसी पोक्सो कोर्ट अलका उपमन्यु एडवोकेट ने बताया कि पीड़िता की माँ ने थाना नौहझील में रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें कहा गया था कि 01 अक्टूबर 2020 को उसकी 13 वर्षीय पुत्री को उसका मौसा पिंटू अपने साथ जो किराये पर रहता था, वहाँ ले आया और वहाँ बेटी के साथ बलात्कार की घटना को अंजाम दिया और घर बताने पर बेटी को जान से मारने की धमकी दी। जब बेटी वापस घर आयी तो उसने घटना के बारे में अपनी बड़ी बहिन और (माँ) को बताया। पीड़िता की माँ की तहरीर पर थाना नौहझील में धारा 376, 506 भा.दं.सं. 3/4 पोक्सो एक्ट में दर्ज किया। जिसकी अपराध संख्या 398/2020 है। अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश पोक्सो एक्ट विपिन कुमार ने सुनवाई करते हुए अभियुक्त पिंटू को धारा 506 भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप के लिए 04 वर्ष का कठोर कारावास व एक हजार रूपये के अर्थदण्ड तथा धारा-4 (2) लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप के लिए 20 वर्ष का कठोर कारावास व पचास हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। अर्थदण्ड अदा ना करने पर छः माह का अतिरिक्त कारावास भोगेगा। सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी। अभियुक्त द्वारा जेल में बितायी गयी अवधि इस सजा में समायोजित की जाएगी।
01 April 2023
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नाबालिग से बलात्कार के आरोपी को 20 वर्ष का कारावास
नाबालिग से बलात्कार के आरोपी को 20 वर्ष का कारावास
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MP24X7...यानी समय, सत्ता और समाज के बनाए हुए नियम के खिलाफ जाने का मतलब है। सही मायनों में सुधारवाद का वह पथ या रास्ता है। जो अंतिम माना जाता है, लेकिन हम इसे शुरुआत के रूप में ले रहे हैं। सार्थक शुरुआत कितनी कारगर साबित होगी? यह तो भविष्य तय करेगा। फिर भी हम ब्रह्मपथ पर चल पड़े हैं, क्योंकि यह अंतिम पथ नहीं है। सुधारवाद की दिशा में एक छोटा कदम है।.
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