कमलनाथ सरकार के फैसले को बदला
बता दें कि कमलनाथ सरकार द्वारा नवनियुक्त शिक्षकों को 3 साल का प्रोबेशन पीरियड और 70-80-90% सैलरी का फॉर्मूला लागू किया गया था। शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी होने के बाद तत्कालीन सरकार द्वारा मूल विज्ञापन में पूर्ण वेतन और 2 वर्ष की परिवीक्षा अवधि का उल्लेख किया गया था। हालांकि सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ सरकार द्वारा 2019 में राष्ट्रपति में संशोधन किया गया। वहीं परिवीक्षा अवधि 2 वर्ष की जगह 3 वर्ष और आरंभ से ही 100% वेतन की जगह पहले वर्ष मूल वेतन का 70 फीसद, दूसरे वर्ष 80 फीसद और तीसरे वर्ष 90% और चौथे वर्ष पूर्ण वेतन देने का प्रावधान कर दिया गया। इन 3 वर्षों की सेवा के दौरान वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ प्राप्त करने से उन्हें वंचित किया गया था, जिससे वे नाराज चल रहे थे।
सीएम के निर्णय से शिक्षकों में खुशी
अब सीएम शिवराज ने इसे बदलते हुए नियुक्ति के पहले साल 70 फीसदी और अगले ही साल से पूरा 100 फीसदी वेतन देने का निर्णय लिया है। इससे पहले लगातार कमलनाथ सरकार के फैसले को बदलने की मांग उठती रही थी। मध्य प्रदेश राज्य कर्मचारी कल्याण समिति ने कहा था कि इस व्यवस्था से शिक्षकों और कर्मचारियों को नुकसान हुआ है। उनकी मांग थी कि शिक्षकों की परिवीक्षा अवधि 3 साल से घटाकर 2 साल और सैलरी का फॉर्मूला पहले साल 80% और दूसरे साल से 100% किया जाए। सीएम ने जैसे ही ये घोषणा की सभा में सभी ने जोर से हर्ष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री के इस बड़े फैसले के बाद नवनियुक्त शिक्षकों को बहुत राहत मिलेगी।
नवनियुक्त शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि उन्होने दर्शनशास्त्र में एमए किया और इसके बाद उन्होने भोपाल के हमीदिया कॉलेज में शिक्षण कार्य भी किया है। उन्होने कहा कि अगर वे राजनीति में नहीं आते तो निश्चित तौर पर एक शिक्षक होते क्योंकि इससे बेहतर कोई काम नहीं। वहीं उन्होने चुटकी लेते हुए कहा कि ‘आजकल मैं भाषण भी देता हूं तो भाषण कम देता हूं, पढ़ाता ही ज्यादा हूं। आजकल मैं लाडली बहना योजना पढ़ा रहा हूं।’ इस मौके पर उन्होने अपने गुरू रतनचंद्र जी को भी याद किया और कहा कि उनके जीवन को नई दिशा देने में उनका अहम योगदान था।
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