नाथ ने कहा कि आध्यात्मिक कार्यों से भारत की नींव जुड़ी हुई है। राजनीति और धर्म दोंनो अलग-अलग हैं। भारत की पहचान ही आध्यात्मिक कार्यों से है, जो सामाजिक मूल्यांे से और भावनाओं से जुड़ी है। हमारे देश में इतनी जातियां, इतने धर्म और इतने देवी-देवता है, लेकिन हम देश की संस्कृति से जुड़े होने के कारण एक है। भाजपा चुनाव में राममंदिर का मुद्दा लेकर आती है, क्या हम नहीं चाहते कि राम मंदिर बने, आपको ज्ञात हो कि राजीव गांधी ने ही अयोध्या के मंदिर का ताला खुलवाया था। मुझे आज की नयी पीढ़ी की चिंता है, जो सामाजिक मूल्यों और आध्यामिक भावनाओं को छोड़ वाट्सएप और इंटरनेट पर ज्यादा ध्यान देते हैं, आपको इस नयी पीढ़ी को आध्यात्म की ओर आकर्षित करना होगा। उन्हांेने कहा कि महंतों, पुजारियों को आध्यात्म को बढ़ाने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। आप देश की संस्कृति के रक्षक है। एक तरह से आप समाज का नेतृत्व करते हैं।
कमलनाथ ने कहा कि हमारी 15 महीने की कमलनाथ सरकार में हमने मंदिरों, मठों उत्थान की योजनाएं प्रारंभ की, महाकाल कॉरिडोर का निर्माण कराने की पहल की। रामवन गमन पथ के लिए योजना बनायी राशि स्वीकृत की, पुजारियों को सम्मान दिया। लेकिन भाजपा के पेट में दर्द हुआ और आपके जीवन में खुशहाली आये उसके पहले ही उसने पीछे के दरवाजे से सौंदे की सरकार बना ली और अब आपको आपका अधिकार नहीं दिया जा रहा है। भाजपा केवल धर्म का उपयोग राजनीति के लिए करती है। दिखावे के लिए करती है, धर्म और आध्यात्म से उन्हंे कोई सरोकार नहीं है।
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