इस हादसे से इलाके में हड़कंप मच गया। तत्काल अन्य परिजनों ने पड़ोसियों की मदद से छप्पर में दबे सभी लोगों को बाहर निकाला, और उन्हे इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया। जहां चिकित्सकों ने मां और उसके 2 मासूम बच्चों को मृत घोषित कर दिया। वहीं हादसे की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और मामले की जांच में जुटी है।
यह घटना उरई कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लहरियापुरवा की है। जहां के रहने वाले साबिर अपनी पत्नी नूरजहां के साथ घर में रह रहे थे। ईद का त्योहार मनाने के लिये साबिर की बेटी सबिया पत्नी सद्दाम निवासी तोपखाना जालौन मायके अपने ढाई साल के बेटे शाहरुख तथा 6 माह की बेटी के साथ आई हुई थी। शुक्रवार को अलविदा जुम्मा की नमाज के बाद सभी लोग ईद के त्योहार को अच्छे से मानने के लिए बाजार से खरीदारी करने के बाद घर पहुंचे हुए थे। देर रात को जब सभी लोग खाना खाने के बाद सो गये। शनिवार सुबह तकरीबन साढ़े 4 बजे के करीब बल्लियों के सहारे टिका साबिर के घर का छप्पर तेज हवाओं के कारण गिर गया। जिससे उसकी पुत्री साबिया और उसका ढाई साल का बेटा शाहरुख, 6 माह की पुत्री और उसकी पत्नी नूरजहां छप्पर के नीचे दब कर गंभीर रूप से घायल हो गई। छप्पर गिरने की आवाज सुनकर परिजन तथा आस-पड़ोस के लोग जाग गये, जो मौके पर पहुंचे।
22 April 2023
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छप्पर गिरने से मां और उसके दो मासूम बच्चों की मौत
छप्पर गिरने से मां और उसके दो मासूम बच्चों की मौत
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MP24X7...यानी समय, सत्ता और समाज के बनाए हुए नियम के खिलाफ जाने का मतलब है। सही मायनों में सुधारवाद का वह पथ या रास्ता है। जो अंतिम माना जाता है, लेकिन हम इसे शुरुआत के रूप में ले रहे हैं। सार्थक शुरुआत कितनी कारगर साबित होगी? यह तो भविष्य तय करेगा। फिर भी हम ब्रह्मपथ पर चल पड़े हैं, क्योंकि यह अंतिम पथ नहीं है। सुधारवाद की दिशा में एक छोटा कदम है।.
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