रतलाम। होरी हनुमान जी का मंदिर राजस्थान ओर मध्यप्रदेश की सीमा पर बसा है । यहां आने से होते हैं दुख दूर। प्रेत बाधाओं से भी मिलती है मुक्ति। होरी के हनुमान, जी हाँ, होरी नाम के गाँव में हनुमान जी का खास रूप। वो रूप जिसके दर्शन करने भर से सारे रोग छू मन्तर हो जाते हैं और सारी बाधाएं हट जाती हैं। एक खास स्थान, जहां विराजे हैं हनुमान – करते हैं सब परेशानियों का निदान। यहां आने से होते हैं दुख दूर। प्रेत बाधाओं से भी मिलती है मुक्ति।
मध्यप्रदेश और राजस्थान की सीमा पर स्थित है गाँव होरी का। ये गाँव इलाके के और गांवों जैसा ही है लेकिन इस गाँव को अलग कर दिया है 135 साल पुरानी मूर्ति ओर मंदिर से जिसे होरी हनुमान धाम कहा जाता है।
होरी हनुमान जी का मंदिर:- खास है ये मंदिर – बजरंग बली का अनोखा रूप
जी हां, श्रद्धालु कहते हैं, बजरंग बली जिस रूप में यहां है वैसा ही शायद ही कहीं और इस रूप में हो। इसी रूप की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है। प्रेत बाधाओं के सताए लोगों के लिए ये है खास मंदिर। लगती है यहाँ खास हाजिरी – जंजीर से बांधे जाते हैं लोग और हो जाते हैं ठीक। कोई बंधा रहता है जंजीर से। कोई कैद रहता है ताले में। कोई है बेसुध। सभी के परिवार वालों को भरोसा है बजरंग बली पर। वो कुछ ऐसा चमत्कार दिखाएंगे और ये ठीक हो जाएंगे। माने भी क्यूँ न? यहां पुजारी के मुताबिक ऐसे कितने ही अनगिनत दरबार मे आकर ठीक हो गए हैं।
कहा जाता है कि किसी भी आत्मा ने आदमी को सताया हो, कोई भी भूत या प्रेत परेशान कर रहा हो, इस स्थान पर आने के बाद सभी हवाएं शरीर छोड़ देती हैं। मंदिर में आने वाले कई लोग ऐसे हैं जिन्हे दुष्ट आत्माओं ने घेर रखा था। वो कहते हैं बजरंग बली की महिमा से वो अब बिल्कुल स्वस्थ महसूस कर रहे हैं।
कई लोगों के बने है बिगड़े काम
यहां आने वाले लोग कहते हैं कि तमाम रोगों और बाधाओं से तो मंदिर में आने के बाद मुक्ति मिल ही जाती है, साथ ही बिगड़े काम भी बन जाते हैं। इसी वजह से मंदिर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती ही जा रही है। लोगों की भले ही मंदिर की गहरी आस्था हो भले ही हजारो लोग यहाँ आकर ठीक हो गए हो लेकिन जानकार भूत प्रेत बाधाओं की बात पर यकीन नहीं करते। उनका कहना है कि ये एक मानसिक बीमारी है जिसका इलाज किसी कुशल डॉक्टर से ही कराना चाहिए।
होरी गाँव में जैसा मंदिर अभी है वैसा पहले नहीं था। मंदिर के स्थान पर वहां एक चबूतरा हुआ करता था जहां एक भक्त पूजा करता था। धीरे धीरे इस स्थान का ध्यान करने से लोगों के काम बनने लगे जिसके बाद इस स्थान की आस्था गहरी हो चली।
होरी हनुमान जी का मंदिर जहां मिलती है कई बाधाओं से मुक्ति। दूर हो जाते हैं कई रोग और अनूठी है इस मंदिर के बनने की कहानी। पहले इस स्थान पर था चबूतरा – भक्तों ने दिया मंदिर का रूप।
जी हां, होरी गाँव में जहां वर्तमान में मंदिर नजर आता है वहां कभी एक चबूतरा हुआ करता था। यहीं बजरंग बली की मूर्ति स्थापित थी। चबूतरे और मूर्ति की साफ सफाई जगन्नाथ महाराज नाम का एक भक्त किया करता था। जगन्नाथ महाराज की बजरंग बली मे गहरी आस्था थी। कहा जाता है कि बजरंग बली कई साल पहले ही यहां अपने चमत्कार दिखाने लगे थे। उन्हीं की महिमा से जगन्नाथ महाराज को मंदिर के पास चांदी का एक सिक्का मिला। जगन्नाथ महाराज ने वो सिक्का पास के ही कोटड़ी गाँव के एक आदमी रामलाल के यहां रख दिया। धीरे धीरे रोज जगन्नाथ महाराज को और सिक्के मिलने लगे। वो उन्हें रामलाल के यहां जमा करने लगा। एक दिन रामलाल ने सिक्के का राज बताने की जिद की तो जगन्नाथ महाराज ने हकीकत बता दी। उसी दिन के बाद उसे सिक्के मिलने बंद हो गए।
कुछ लोग मंदिर की महिमा से जुड़ी एक और कहानी बताते हैं। मन्दिर से थोड़ी ही दूर पर रोजड़ी नदी बहती है, ओर लोग बताते हैं कि एक साल रोजड नदी में भयंकर बाढ़ आ गई थी। आसपास के कई मकान धराशायी हो गए। कोटड़ी गाँव भी जल मग्न हो गया। उस गाँव में नाथू जी तम्बोले नाम के आदमी ने होरी हनुमान का ध्यान किया और कहा कि अगर बजरंग बली उनका अनाज सुरक्षित बचा देते हैं तो वो उसका कुछ अंश अर्पित करेंगे। हनुमान जी की कृपा से उसका अनाज बच गया। इसके बाद नाथू जी ने मंदिर बनवाने के लिए अनाज का हिस्सा दिया। लोगों के मुताबिक लोगों ने धीरे धीरे पुराने चबूतरे पर मंदिर बनवा दिया। जिसमें बजरंग बली की प्रतिमा तो स्थापित की ही गयी साथ ही उनके भक्त जगन्नाथ महाराज की मूर्ति भी लगाई गई। अब इस मंदिर को भव्य रूप दिया जा रहा है।
होरी हनुमान के दर्शन के लिए आसपास व विदेशों से भक्त लोग आते हैं ओर अपनी मुराद मांगकर जाते है जिनकी हर मुराद पूरी भी हो जाती है ।
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