कमलनाथ ने कहा कि मप्र का दुर्भाग्य है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ज्यादातर मुद्दे सिर्फ अवसरवादी राजनीति से प्रेरित होते हैं। शिवराज सिंह चौहान जी फरवरी 2014 में मप्र के बासमती चावल को जिओेग्राफिकल इंडिकेशन का टेग नहीं मिलने को लेकर तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार के खिलाफ मंत्रीमण्डल सहित धरने पर बैठे थे और मप्र से सौतेले व्यवहार का आरोप लगा रहे थे। मगर मई 2014 में जब से मोदी सरकार बनी, तब से उन्होंने इस मुद्दे पर मौन साध लिया।
कमलनाथ ने कहा कि वर्ष 2020 में भी जब शिवराज सिंह चौहान जी को उनको इस संदर्भ मंे याद दिलाया गया कि अब केंद्र में भी सरकार आपकी ही है और देश के कृषि मंत्री मप्र से ही हैं, तब भी आप मप्र के बासमती चावल की पहचान के लिए कोई प्रयत्न क्यों नहीं करते। मगर विडंबना देखित कि 7 अगस्त 2020 को शिवराज जी ने श्रीमती सोनिया गांधी जी को पत्र लिखा और जीआई टेग के न मिलने की अपनी नाकामी को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पर ढोल दिया। जबकि यह निर्णय तब भी मोदी सरकार को ही लेना था।
श्री कमलनाथ ने कहा कि आज लगभग 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी मप्र के बासमती चावल का उत्पादन करने वाले किसानों को जिओेग्राफिकल इंडिकेशन की पहचान नहीं मिल पायी है। मप्र की भाजपा सरकार न किसानों का बकाया ऋण माफ कर रही है और न ही अतिवृष्टि से प्रभावित तीस से अधिक जिलों के किसानांे को उचित मुआवजा दिया गया है, न ही समर्थन मूल्य पर खरीदे गये अनाज का समय पर भुगतान किया जा रहा है।
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