दरअसल डबरा देहात थाना क्षेत्र के ग्राम छोले की दफाई निवासी 32 साल के पहलवान आदिवासी ने घर के अंदर लगे बांस के डंडे पर रस्सी डालकर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। जब उसके भाई ने उसे फांसी के फंदे पर लटका देखा तो इसकी सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच पड़ताल और घर वालों से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि मृतक पहलवान का राशन कार्ड डॉक्टर टिंकू शर्मा के यहाँ पर रखा हुआ था। टिंकू शर्मा और उसका साथी बड़े बरार गांव में घटना के एक दिन पहले आये हुये थे। तभी मृतक पहलवान आदिवासी ने अपना राशन कार्ड डॉक्टर टिंकू शर्मा से मांगा तो डॉक्टर टिकू शर्मा और उसके साथी बड़े ने मृतक पहलवान को गाली गलोच कर थप्पड़ो से मारपीट कर एव गांव में बेईज्जती कर दिया था। तभी पहलवान आदिवासी ने घर पहुंचकर घटना के बारे मे परिवार वालो को बताया और कहा कि मेरी गांव में बेईज्जती हो गई है अब में जीना नहीं चाहता हूँ। जिसके बाद पहलवान सिंह ने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिवार से पूछताछ के बाद पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया। वही पुलिस ने आरोपी डॉक्टर टिंकू शर्मा और उसके साथी बड़े बरार के खिलाफ धारा 306,एस.सी.एस.टी.एक्ट में मामला दर्ज कर फरार डॉक्टर और उसके साथी की तलाश शुरू कर दी है।
21 May 2023
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बेइज्जती से आहत आदिवासी ने जान दी
बेइज्जती से आहत आदिवासी ने जान दी
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MP24X7...यानी समय, सत्ता और समाज के बनाए हुए नियम के खिलाफ जाने का मतलब है। सही मायनों में सुधारवाद का वह पथ या रास्ता है। जो अंतिम माना जाता है, लेकिन हम इसे शुरुआत के रूप में ले रहे हैं। सार्थक शुरुआत कितनी कारगर साबित होगी? यह तो भविष्य तय करेगा। फिर भी हम ब्रह्मपथ पर चल पड़े हैं, क्योंकि यह अंतिम पथ नहीं है। सुधारवाद की दिशा में एक छोटा कदम है।.
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