कांग्रेस हाईकमान ने दिल्ली में बुलाकर गहलोत और पायलट से मुलाकात की थी। तब कांग्रेस नेताओं ने दावा किया था कि सचिन और गहलोत साथ काम करने वाले हैं। यह भी कहा गया कि फॉर्म्यूले के तहत सचिन को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला हुआ है। हालांकि सचिन पायलट कैंप की ओर से ऐसी खबरों को खारिज कर दिया गया और उन्होंने कहा कि वह अपने मुद्दों पर डटे हुए हैं। अब चर्चा है कि सचिन पायलट 11 जून को जयपुर में एक रैली कर और हजारों समर्थकों की मौजूदगी में नया दल बनाने का ऐलान कर सकते हैं।
पायलट यदि नई पार्टी बनाते हैं, तब इस बात पर भी होगी कि कांग्रेस के कितने विधायक उनके साथ जाते हैं? इसके अलावा गहलोत की सरकार के सामने कोई खतरा पैदा होगा या नहीं। इसके पहले 2020 में भी जब सचिन ने बागी तेवर अपनाए थे, तब उनके साथ 19 विधायक थे। माना जा रहा है कि इस बार भी कई लोग उनके साथ रह सकते हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोक रहे सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार पर कई आरोप लगाए हैं, जिनमें से एक यह है कि भाजपा की वसुंधरा सरकार दौरान हुए करप्शन की जांच नहीं कराई गई.
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