कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पूछा- बताओ मेरे लिए सबसे ज्यादा खुशी का पल कौन सा होता है? जब मेरी बेटियां मुझसे मिलती हैं। किताब में छपे एक फोटो को दिखाते हुए सीएम ने कहा- तुम बेटियां जब छोटी-छोटी थीं तो हो सकता है, तब मैंने किसी को गोद में लेकर उछाला हो। मेरे लिए सबसे सुंदर वही पल होता है, जब मैं अपनी बेटियों को गोद में लेकर दुलार करता हूं। एक योजना ने बेटियों की जिंदगी बदल दी है और समाज का दृष्टिकोण बदलने का काम किया है।
एक जमाना था जब मां सिर्फ बेटा चाहती थी
एक जमाना था जब मां की इच्छा होती थी कि घर में पैदा हो तो सिर्फ बेटा ही पैदा हो। ज्यादातर ऐसा होता था। बेटा मतलब कुल का दीपक, बुढ़ापे की लाठी का सहारा। बेटी मतलब बोझ, यह चीज मन को बहुत तकलीफ देती थी कि बेटा-बेटी में भेद क्यों? फिर मेरे मन में यह विचार आया कि बेटियों को वरदान बनाना है, अभी खेलो इंडिया का बहुत सुंदर आयोजन किया। देखकर मन गदगद हो गया। हर क्षेत्र में बेटियां नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। बेटियां कम नहीं है, बेटियां बेटों से चार कदम आगे हैं। मेरे मन में विचार आया कि बेटी पैदा हो तो लखपति पैदा हो तो माता-पिता भी सोचेंगे के आने दो बेटी को। उसके बाद लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई गई।
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