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06 June 2023

पांच साल बाद फिर किसान याद आए कांग्रेस को


 मंदसौर। 6 जून 2017 ये वो तारीख है जब मंदसौर में किसानों की बेकाबू हो चुकी भीड़ पर पुलिस ने फायरिंग की थी और गोली लगने से पांच किसानों की मौत हो गई। क्‍योंकि भीड़ उग्र हो चुकी थी, ट्रकों में आग लगा रही थी। इस घटना को 6 साल बीत चुके हैं लेकिन अब 2023 के चुनाव नजदीक हैं तो कांग्रेस को मंदसौर गोलीकांड के पीड़ितों की फिर याद आने लगी है। मंदसौर गोली कांड की बरसी पर पीसीसी चीफ कमलनाथ मंदसौर पहुंच गए। इससे पहले वो 2018 के चुनाव में मंदसौर गए थे लेकिन बीते पांच साल से ना तो कांग्रेस ने इसकी बरसी मनाई ना ही पीड़ितों से मिलने पहुंचे। यानी साफ है कि, कमलनाथ मंदसौर गोलीकांड को विधानसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश रहे है। उनके यहां दिए बयान और भाषण से भी यह साफ झलक रहा है।


मंदसौर गोलीकांड के एक साल बाद 2018 के विधासनभा चुनाव के वक्त राहुल गांधी ने मंदसौर से ही किसानों को लुभाने के लिए कर्ज माफी का बड़ा एलान किया था। लेकिन कांग्रेस का यह दांव मंदसौर क्षेत्र में ही नहीं चला था। मंदसौर के किसानों ने कांग्रेस को नकार दिया था। मंदसौर लोकसभा की सात सीटों में से छह पर कांग्रेस हार गई थी, एक मात्र सीट पर बहुत कम वोटों से जीती। बाद में कांग्रेस विधायक बीजेपी में आ गए और यह सीट भी कांग्रेस ने गंवा दी थी। अब सातों सीटों पर बीजेपी का कब्‍जा है। लेकिन अब कांग्रेस ने फिर से मंदसौर के किसानों को लुभाने का प्लान बनाया है हालांकि बीजेपी कांग्रेस पर आरोप लगा रही है कि, वो लाशों पर राजनीति करती है। ना सिर्फ विधानसभा बल्कि लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस मंदसौर गोलीकांड के मुद्दे को अपने पक्ष में नहीं भुना पाई। लेकिन इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि, स्थिति अलग होगी और एक बार फिर किसानों के सहारे वो 2023 की चुनावी नैया पार कर लेगी। शायद यही वजह भी है कि, कांग्रेस खुद को किसानों की हितैषी बताने में जुटी है लेकिन सवाल ये है कि, अगर सच में उसे किसानों की इतनी चिंता है तो वो बीते 5 साल से मंदसौर के पीड़ितों का हाल जानने क्यों नहीं आई।

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