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02 June 2023

आर्थिक संकट से गुजर रहा निगम, बिल नहीं भरने पर कटी बिजली


 भोपाल  - मध्य प्रदेश की राजधानी में नगर सरकार के हाल बेहाल है। आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगम के पास आय का कोई साधन बचा नहीं है, जो भी राजस्व रहा है। वह कहां खर्च हो रहा है, इसका भी लेखा-जोखा नहीं है। कारण है कि राजधानी में 1 साल के भीतर तीसरी बार बिजली कटौती का संकट का साया नगर निगम पर आ चुका है। स्थिति यह है कि पॉश इलाकों में स्ट्रीट लाइट बंद है, क्योंकि 40 करोड़ का अभी बिल नगर निगम पर बकाया है। 

पिछले 2 महीने से लगातार नगर निगम कमिश्नर भले ही लाख जद्दोजहद कर राजस्व इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन नगर निगम के खर्च पर काबू नहीं है। नगर निगम पर करोड़ों रुपए का बिल बकाया है। बिजली कंपनियों ने लगातार पत्र लिखा। इसके बाद भी नगर निगम भुगतान करने में विफल हुआ। भुगतान नहीं करने की वजह से नगर निगम स्ट्रीट लाइट का कनेक्शन बिजली कंपनियों ने काट दिया। जिसकी वजह से राजधानी के कई इलाकों में पिछले 10 दिनों से स्ट्रीट लाइट बंद है। अंधेरा पसरा होने की वजह से कई जगह पर सड़क हादसे भी हुए हैं लेकिन इसके बाद ही स्ट्रीट लाइट शुरू नहीं हो पाई है। 

कंपनियों को दी हिदायत

इधर, बिजली काटने को लेकर नगर निगम परिषद अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने बिजली कंपनियों को हिदायत देते हुए कहा कि जनहित के लिए काम किया जा रहा है। नगर निगम समय पर भुगतान बिजली कंपनी को कर रहा है। फिर भी बिजली कंपनी फीडर को बंद कर रही है। इससे लोगों को तकलीफ हो रही है जो भी बिल बकाया होगा उसे भुगतान कर दिया जाएगा लेकिन नगर निगम को स्ट्रीट लाइट से कोई आय होती नहीं है। जनता के हित का काम है। पहले भी इस बात को लेकर बिजली कंपनी को कहा गया है। वही कांग्रेस पार्षद योगेंद्र सिंह गुड्डू का कहना है मार्च में नगर निगम में वसूली की है। नगर निगम के खाते में करोड़ों पर आए हैं। फिर भी यह पैसा कहां चला गया। इस मामले को लेकर कांग्रेस पार्षदों ने सवाल उठाए थे। कांग्रेस की तरफ से मांग की गई है कि अगर सरकार महापौर श्वेत पत्र जारी करें और बताएं कि आखिर जनता कलेक्शन का पैसा कहां खर्च किया गया है।

राजस्व नहीं बढ़ा सका अमला


बीजेपी की नगर परिषद में संख्या अधिक बीजेपी पार्षदों की ही है। राजस्व बढ़ाने को लेकर कई दावे किए गए लेकिन धरातल पर एक भी नहीं उतरे। शहर में अवैध पार्किंग से लेकर तमाम गतिविधियां चल रही है लेकिन नगर निगम के खजाने में पैसा नहीं आ रहा है। जिसका नतीजा है कि कभी सड़क का कभी बिजली और कभी पानी को लेकर लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आने वाले कुछ महीनों में मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव है। नगर सरकार के कारनामों की सजा मौजूदा सरकार को ना भुगतनी पड़े। क्योंकि जनता से टैक्स वसूला जा रहा है लेकिन सुविधाओं के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। बिजली पानी सड़क जैसे मुद्दे पर सरकार के लिए मुसीबत का सबब बने हुए हैं। क्योंकि इन मुद्दों को लेकर ही नगर निगम के चुनाव में वादा किया गया लेकिन चुनाव जीतने के बाद धरातल पर जनता को सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है। 


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