लिहाजा, भ्रष्टाचार के जुड़े दस्तावेजों को ऐसी हीं प्रायोजित हरकतों के माध्यम से समूल नष्ट कर दिया जाए! उन्होंने यहां तक कहा दिया है कि यह लगभग तय है कि प्रदेश में श्री कमलनाथ के नेतृत्व में स्पष्ट बहुमत वाली कांग्रेस की सरकार काबिज होने वाली है, उसके बाद भ्रष्टाचार से जुड़े मसलों के प्रमाणों को नष्ट करने वाले बचेंगे नहीं।
मिश्रा ने कहा कि प्रदेश की राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन की दूसरी मंजिल में लगी प्रायोजित आग यदि बहुप्रचारित सुसज्जित दमकलों के बावजूद भी कुछ घंटों बाद छठवीं मंजिल तक पहुंच जाएं, उसे बुझाने के प्रबंधन न हो और सेना को बुलाना पड़े यह प्रदेश के आत्मनिर्भर होने के राजनैतिक जुमले को उसकी हैसियत दिखा रहा है । इससे स्पष्ट हो रहा है कि अन्य जिलों में फायर सेवाओं की स्थिति क्या होगी? मिश्रा ने सरकार से कई अनुत्तरित प्रश्नों के जवाब मांगे हैं।
1. आखिरकार क्या कारण है कि प्रदेश में जब से शिवराज सरकार काबिज हुई है, आग सिर्फ और सिर्फ मलाईदार मंत्रालयों में ही, वह भी आसन्न विधानसभा चुनाव के पूर्व ही क्यों लगती है? लोकसभा चुनाव के पूर्व क्यों नहीं? यहीं नहीं मुख्यमंत्री निवास और चार इमली क्या फायर प्रुफ अट्टालिकाएं हैं?
2. अब तक जितने भी मंत्रालय में आग लगी है उनका संबंद्ध व्यापमं, परिवहन, स्वास्थ्य, आयुष्मान, एनएचएम और कोरोना काल के दौरान हुए घपलों-घोटालों से ही क्यों रहा है, इन मंत्रालयों और आग के बीच प्रेम प्रसंग का कारण क्या है?
3. क्या सरकार इन प्रायोजित आग की लपटों की आड़ में अपने द्वारा किए गए घपलों-घोटालों और महाभ्रष्टाचार को छुपाना चाहती है?
4. आग लगने की घटना के बाद आग बुझाने में असफल सरकार की प्राथमिकता पहले सेना को बुलाने की होना चाहिए थी या आग के कारणों की तत्परतापूर्वक जांच समिति बनाने की! इस जल्दबाजी के कारण क्या है?
5. सरकार का यह दावा कि जिन मंत्रालयों में आग लगी हुई है उनमें टेण्डर प्रक्रिया इत्यादि का काम नहीं सिर्फ स्थापना शाखा ही है, किसी के बिना पूछे यह अधिकारिक जानकारी देना क्या किसी षडयंत्र का हिस्सा है? इन दफ्तरों में 16 हजार फाईलें जलीं है यह आंकड़ा क्या पूर्व तयशुदा है, यह सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया कि यह 16 हजार फाईलें किससे संबंधित है, यह आंकड़ा कहां से आया है? ना बुझाई जाने वाली भीषण आग के बीच इन फाइलों को किसके निर्देश पर और किस कर्मचारी या अधिकारी ने इसकी गिनती की? किन दफ्तरों में कितनी फाईलें जली है, इसका अधिकतर आकंडा कहां से प्राप्त हुआ?
6. प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का यह कहना कि आग से जली फाईले कोई महत्वपूर्ण नहीं है, तब एनएचएम विभाग की महिला आइएएस अधिकारी प्रियंका दास का यह कहना कि सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज जलकर खाक हो गए है, यह अन्तर क्या प्रदर्शित कर रहा है? गृहमंत्री के कथनानुसार यह डीजिटल युग है हमारे पास सारे रिकार्ड मौजूद है, तो मौजूदा दस्तावेजों को रद्दी में क्यों नहीं बेच दिया गया?
मिश्रा ने आरोप लगाया कि जिन मंत्रालयों के दफ्तरों में आग से दस्तावेज जला दिए गए है, उनसे जुड़े मामले उच्च न्यायालय, लोकायुक्त और इओडब्ल्यू जैसे संगठनों में विचाराधीन मामलों के रूप में दर्ज है, और इन विभागों से संबंधित प्रमुखों का संबंध कमलनाथ सरकार के गिराए जाने को लेकर एकत्रित धन इकठ्ठा करने से जुड़ा हुआ है। क्योंकि भाजपा ने प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिराने के लिए एक केन्द्रीय मंत्री से 1250 करोड़ रूपये कर्ज किया था। जिसकी अदायगी उन्हें कोरोनाकाल के दौरान हुई, विभिन्न उपकरण, दवाओं व अन्य खरीदी में भ्रष्टाचार के माध्यम से एकत्र धन से की गई है! उन्होंने यह भी कहा कि गत् 14 अप्रेल को मेरे निवास से हुई लाईसेंसी रिवाल्वर और स्वास्थ्य विभाग में हुए 250 करोड़ रूपये के भ्रष्टाचार से जुड़ी फाईल के चोरी हो जाने से भी इस आग का ताल्लुक है, क्योंकि सरकार को मामूल था कि यह फाईल एक बड़े भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई है, आशंका है कि यह आग उसे भी लील गई हो। अन्यथा क्या कारण रहा कि चोर ने कुछ रूपये, उक्त फाईल और लाईसेंसी रिवाल्वर को ही अपना निशाना क्यों बनाया, अन्य सामानों पर उसके द्वारा हाथ भी क्यों नहीं लगाया गया?
मिश्रा ने यह भी कहा है कि विधानसभा चुनाव परिणाम आने के पूर्व सरकार और भ्रष्टाचार करने वाले जवादबार चेहरे, महाकाल लोक में हुए करोड़ों रूपये से जुड़े भ्रष्टाचार की फाईलें भी इसी तरह आग के हवाले कर सकते है, ताकि प्रमाण नष्ट हो जाएं, लिहाजा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएं। उन्होंने कहा कि इसके लिए महामहिम राज्यपाल अधिकारियों की जवाबदारी सुनिश्चित करें और इस अग्निकांड की न्यायिक जांच भी कराएं।
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