भोपाल में नगर सरकार की जिम्मेदारी है कि शहर में जनता की समस्याओं को दूर किया जाए नगर सरकार बनने के बाद कई परिषद की बैठक हो गई बारिश से पहले भी बैठक बुलाने की विपक्ष ने मांग की थी लेकिन सुनवाई नहीं हुई नगर निगम दावा करता रहा कि शहर में नाले नालियों की साफ-सफाई जारी है इस दावे की हकीकत भी बारिश के साथ-साथ खुल गई राजधानी के कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई लोगों के घर दुकान मकानों में पानी भर गया। राजधानी के 40 फीसदी नाले नालियां, ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरीके से चोक हो गए। जिसकी वजह से निचली बस्तियां और शहर के अलग-अलग इलाकों में पानी घरों के भीतर आ गया।
वीओ - जलभराव की शिकायतें नगर निगम तक पहुंचने लगी जिसके बाद महापौर भी होश में आई और औचक निरीक्षण करने पहुंच गई। महापौर का दावा है कि नगर निगम के कर्मचारी 8 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं। जहां भी शिकायतें मिल रही है. नगर निगम की टीम जाकर जलभराव की स्थिति को नियंत्रित करने में जुटे हुए हैं लेकिन हकीकत यह है कि राजधानी के अलग-अलग इलाकों में लोग बारिश के पानी से परेशान हैं। क्योंकि वह पानी उनके घरों के भीतर घुस रहा है। ऐसे में सवाल रहवासी पार्षदों से पूछ रहे हैं कि अगर सरकार की ऐसी लचर व्यवस्था क्यों बनी हुई है।
इधर शहर में जलभराव की समस्या को लेकर कांग्रेस पार्षद ने महापौर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। योगेंद्र सिंह गुड्डू का कहना है कि महापौर आपरिपक्व हैं। शहर में नाले नालियों की साफ-सफाई 15 मई के पहले हो जानी थी। बारिश के समय नालों में पोकलेन नहीं जा सकती है शहर में यदि जलभराव की स्थिति बन रही है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी महापौर की है।
- बाहर हाल आने वाले दो-तीन महीने नगर निगम के लिए चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि बारिश का दौर लगातार जारी रहेगा। आशंका भी इस बात की जताई गई है कि इस साल भारी बारिश होगी। हर साल राजधानी में बारिश की वजह से लोगों के घरों में पानी घुसना उनके लिए मुसीबत बन गया है। वही सवालों के घेरे में नगर निगम और नगर सरकार भी है कि आखिर करोड़ों रुपए जनता से टैक्स वसूलने के बाद भी राहत नहीं मिल रही है। वही क्या नगर निगम और बीजेपी के तमाम पार्षद इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि इस मामले भी क्या मुख्यमंत्री हस्तक्षेप करेंगे। फिर नगर निगम नींद से जागेगा। कैमरामैन अरविंद के साथ ब्यूरो रिपोर्ट भोपाल
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