मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के भोपाल अभ्यास वर्ग के दूसरे दिन शिरकत कर रहे सभी मुस्लिम कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों से सभी प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित किया। इस बीच अभ्यास वर्ग में आरएसएस कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार, आरएसएस के संपर्क प्रमुख राम लाल और मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत अनेकों गणमान्य व्यक्तियों ने कार्यक्रम में शिरकत की।
छाया रहा राष्ट्रवाद:
दूसरे दिन के अभ्यास सत्र में भारत और राष्ट्रवाद पर लंबी चर्चा हुई। कार्यकर्ताओं में संघ के काम और उनके सेवा भाव की खुले दिल से प्रशंसा की गई। इस बात की भी विस्तार से चर्चा हुई कि जब भी देश पर कोई संकट या आपदा आती है तो संघ के स्वयंसेवक सबसे पहले पहुंच का सहायता कार्यों में बढ़ चढ़ कर अपना सहयोग करते हैं। यहां तक कि हवाई हादसे और रेल हादसे के समय जब तक पूरी सरकारी मदद पहुंचती है उससे पहले स्वयं सेवक राहत और बचाव कार्यों में जी जान से जुट जाते हैं। सभी कार्यकर्ताओं ने ध्वनियों के बीच संघ के सबको जोड़ कर चलने वाली कार्यशैली की तारीफ करते हुए कहा गया कि जिस प्रकार संघ के सामने सिर्फ देशभक्ति का जज्बा होता है जिसमें किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है उसी प्रकार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच भी संघ को अपना आदर्श मानते हुए उसी कार्यशैल्यों पर चलती है। जीता जागता उदाहरण है हाल ही में हुई बड़ी रेल दुर्घटना। इस दुर्घटना के राहत और बचाव दलों के साथ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच पहले दिन से मानव सेवा में लगा है। जिस समय देश में कोविड संकट आया था तो उस समय संघ की इकाइयां जिस प्रकार जनहित के कार्यों में लगी थीं उसी प्रकार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की सीता रसोई लाखों भूखे लोगों को मुफ्त में खाना खिला रही थीं। इसके अलावा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, दवाइयां, पीपीई किट और मास्क बांटने का काम किया था।
जनसंख्या नियंत्रण, शिक्षा और किरदार:
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिया गया तथा शिक्षा और युवाओं के किरदार पर ज़ोर देने का प्रस्ताव पारित हुआ। इस मौके पर मंच ने आत्ममंथन के दौरान खुद से यह सवाल भी पूछा कि आखिर लव जिहाद की आग में कब तक बेटियां जलेंगी? जहां तक जनसंख्या के बढ़ने का सवाल है भारत की आबादी 140 करोड़ से भी ऊपर हो चुकी है। यह आश्चर्यजनक है कि भारत में विश्व की आबादी की कुल 17 प्रतिशत जनसंख्या रहती है जबकि संसाधनों के मामले में हमारे पास दुनिया का सिर्फ 6 प्रतिशत संसाधन ही है।
शिक्षा पर चिंता
मुस्लिम धर्म की शिक्षा को लेकर भी अभ्यास वर्ग में गहरी चिंता व्यक्त की गई। भारत में मुस्लिम ग्रेजुएट की तादाद 3 प्रतिशत से भी कम है। स्कूल ड्रॉप आउट का दर भी मुसलमानों में सबसे ज्यादा है। तालीम की कमी की वजह से तहज़ीब और तरक्की में भी कमी आती है। रोजगार नहीं होते हैं। दूसरी तरफ बढ़ती जनसंख्या के कारण रोजगार और दूसरे संसाधनों की भी कमी रहती है। इंसान के अंदर तहजीब और किरदार देने पर भी जोर दिया गया। और यह सब किसी भी बच्चे को परिवार से ही ज्ञान मिलता है।
नरोत्तम मिश्रा की दो टूक:
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी थोड़ी देर के लिए अभ्यास वर्ग में शिरकत की। उन्होंने भी बड़े धैर्य के साथ लोगों की बातें सुनीं और खुले दिल से मंच की तारीफ की। उन्होंने कहा कि यह एक राष्ट्रवादी संगठन है और राष्ट्रवाद सर्वोपरि है। गृह मंत्री ने कहा कि, "मैं रसखान और रहीम के भक्त हूं, उनको पूजता भी हूं... लेकिन समस्या वैसे लोगों से जो रहते खाते तो हिंदुस्तान का हैं लेकिन गाते पाकिस्तान का हैं।"
राम लाल ने दी धैर्य, हिम्मत की सीख:
इस दौरान आरएसएस के वरिष्ठ नेता और संघ के संपर्क प्रमुख राम लाल ने बड़ी गंभीरता से सभी की बातें सुनी और मंच की जोरदार तारीफ करते हुए एक सफल संगठन की बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं दीं। भर से आए कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने बताया कि गंभीरता और परिपक्वता समय के साथ साथ आती है। राम लाल ने कैफ़ी आज़मी के एक शेर से अपनी बात शुरू की... उन्होंने कहा, "बस्ती में अपने हिंदू मुसलमान तो बस गए, इंसान की शक्ल देखने को हम तरस गए". उन्होंने कहा कि आज कि तारीख में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इतना बड़ा हो चुका है कि, "मैं समझता हूं कि देश में हिंदू मुसलमान बनाने के तो बहुत काम होते हैं लेकिन यह मंच सिर्फ "इंसान बनाने" का काम करता है".
राम लाल ने कहा कि हिंदू मुसलमान के बीच अगर कोई दूरी है तो समझने का काम गलत तरीके से हुआ। इसमें मुस्लिम समाज की गलती नहीं, समझाने वालों की गलती अधिक है। उन्होंने कहा कि सामान्य मुसलमानों को जो एक हजार वर्षों से समझाया गया वो उसने समझा। और उन्हें यही बताया गया कि ये दोनों दो आइडेंटिटी हैं। उन्होंने कहा कि आपस में कोई संवाद नहीं हुआ। उन्होंने पूर्व सरसंघचालक के सी सुदर्शन कि तारीफ करते हुए कहा कि उनके रखी नींव के तले ही यह संवाद अभी तक चल रहा है।
राम लाल ने कहा जिस प्रकार संघ जोड़ने का काम करता है उसी प्रकार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच लोगों को जोड़ने का काम करता है। उन्होंने यह सीख दी कि धैर्य के साथ आगे बढ़ते चलिए और जनसेवा, एकता, अखंडता और राष्ट्रभक्ति के मार्ग को सदैव प्रशस्त कीजिए। उन्होंने कहा कि, "मुझे पूरी आशा है की 2027 में जब मुस्लिम राष्ट्रीय मंच 25 वर्षों का हो जायेगा तो इसकी चर्चा पूरे विश्व पटल पर होगी कि एमआरएम दुनिया में मुसलमानों की अकेली अनोखी संस्था है जो सबको लेकर, जोड़कर, मानव कल्याण और राष्ट्रहित की रक्षा करने वाली संस्था है".
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