मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि संत शिरोमणि रविदास जी अद्भुत संत थे। भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों तथा विशेषकर "सियाराम मैं सब जग जानी" के भाव को मानकर संत रविदास ने न केवल भक्ति अपितु सेवा का भी एक नया इतिहास रचा। "ऐसा चाहूँ राज मैं जहाँ मिलै सबन को अन्न-छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न" और "मन चंगा तो कठौती में गंगा", "प्रभुजी तुम चंदन हम पानी-जाकी अंग-अंग बास समानी"- प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा- प्रभु जी तुम दीपक हम बाती-जाकी जोति बरै दिन राती" जैसे समरसता के अद्भुत संदेशों और अपने सेवाभाव से संत रविदास जी ने ऐसे भाव का सृजन किया जिससे कई राजा-रानी उनके शिष्य बने।
मुख्यमंत्री ने कहा कि संत रविदास सामाजिक समरसता के अग्रदूत थे। राज्य सरकार सागर में उनका एक भव्य स्मारक बनाने जा रही है। संत रविदास जयंती पर मैंने इस आशय की घोषणा की थी, यह घोषणा अब साकार हो रही है। प्रदेश के अलग-अलग पाँच स्थानों से आज पाँच यात्राएँ आरंभ हो रही हैं। गाँव की मिट्टी और नदियों का जल एकत्रित करते हुए तथा सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए यह यात्राएँ सागर पहुँचेंगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे सिंगरौली से यात्रा प्रारंभ करेंगे। सिंगरौली के साथ-साथ ये यात्राएँ धार, श्योपुर, बालाघाट और नीमच से भी आरंभ हो रही हैं।
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