गृह मंत्री डॉ. मिश्रा ने कहा कि वैसे भी आज कांग्रेस का मौन धरना था, गांधी परिवार को खुश करना उनकी पहली प्राथमिकता है। इसलिएपहले कमलनाथ जी निकल गये , फिर बाकी सब निकल गये।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि वैसे भी कांग्रेस के लोग पलायनवादी है। चर्चा से भागते है। कांग्रेस ने जनता से जुड़े कौन से मुद्दे उठाए। उन्हें न आदिवासियों की चिंता है , न किसान की चिंता है, न महिलाओं की चिंता है और न ही बेरोजगारों की चिंता है। उन्हें केवल गांधी परिवार की चिंता है। उन्हें खुश करने के लिए जिस तरह सदन के फ्लोर का उपयोग किया गया , उसकी जितनी निंदा की जाये कम है।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि हम तो सभी मुद्दों पर चर्चा करने को तैयार थे लेकिन वह चर्चा करना ही नही चाहते थे। विपक्ष पूरे समय हंगामा करता रहा । विपक्ष का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। जनता की गाढ़ी कमाई से यह सदन चलता है । इस तरह बिना सार्थक चर्चा के सत्र का समापन दुखद है।
कमलनाथ बोले, सरकार में नैतिक साहस नहीं
मध्यप्रदेश विधानसभा में आज कुछ ही घंटों चले मानसून सत्र के अचानक सत्रावसान किए जाने कि घोषणा पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि मुझे इस बात कि पूरी आशंका थी कि महाकाल लोक में हुए भ्रष्टाचार, सतपुड़ा का प्रायोजित अग्निकांड, महंगाई बेरोज़गारी, ध्वस्त हो चुकी क़ानून व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सदन में बहस करने का सरकार में नैतिक साहस नहीं है।
सरकार गंभीर मुद्दों पर सदन का सामना करना तो दूर, अब प्रदेश का सामना करने में असफल और अक्षम साबित हो गई है। जबकि हर वर्ग परेशान है, आक्रोशित और व्यथित है। इन सबसे अलग सरकार ने प्रायोजित तरीक़े से कुछ ही घंटों में सदन के इस आख़िरी सत्र का समापन कर संविधानिक मूल्यों का मखौल उड़ाया है। अब हम सड़कों पर इनके विरुद्ध संघर्ष करेंगे।
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