अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है लेकिन ड्यूटी करने के बजाय डॉक्टर खुद की क्लीनिक चलाने में व्यस्त हैं। सरकार भले ही उन्हें मरीजों के इलाज के लिए योगदान कर रही है लेकिन निजी अस्पतालों में डॉक्टर ड्यूटी कर रहे हैं। इस व्यवस्था को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य मुख्यालय ने सार्थक ऐप के जरिए ऑनलाइन अटेंडेंस का आदेश जारी किया है। डॉक्टरों को अनिवार्य रूप से इस आदेश का पालन करना है नहीं तो उनकी सैलरी कटेगी। मुख्यालय के आदेश के बाद फिर भी डॉक्टर विरोध कर रहे हैं।
नर्सों की अलग दलील
जेपी अस्पताल के सिविल सर्जन राकेश श्रीवास्तव का कहना है कि मुख्यालय की तरफ से आदेश जारी किया गया है डॉक्टरों को अनिवार्य रूप से सार्थक ऐप के जरिए अटेंडेंस भरनी होगी इससे उनकी ड्यूटी का समय ही पता चल सकेगा। वहीं नर्स की दलील है कि उनकी इमरजेंसी ड्यूटी होती है। इस दौरान सार्थक ऐप में अटेंडेंस भरने का समय भी नहीं रहता है। इसके अलावा अतिरिक्त ड्यूटी थी कराई जाती है। इस व्यवस्था से सार्थक ऐप में अटेंडेंस भरना मुश्किल है। डॉक्टर और सभी नर्स इस व्यवस्था के खिलाफ है इसका समर्थन नहीं करते हैं।
कलेक्टर के निरीक्षण में खुली थी पोल
- जिस व्यवस्था के खिलाफ जेपी अस्पताल सहित प्रदेशभर के डाक्टर विरोध कर रहे हैं। उसकी पोल पिछले दिनों कलेक्टर आशीष सिंह के निरीक्षण के बाद खुल गई। कलेक्टर जेपी अस्पताल में निरीक्षण करने के लिए गए थे। यहां मौजूद 20 से अधिक डॉक्टर नदारद थे। आखिरकार डॉक्टरों के खिलाफ कलेक्टर ने कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जिसके बाद मुख्यालय ने भी सार्थक ऐप के जरिए अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया है। बहरहाल सवाल इस बात का है कि सरकार मरीजों के इलाज का पैसा डॉक्टरों को देती है लेकिन डॉक्टर खुद भी क्लीनिक चलाने में व्यस्त हैं। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर सार्थक ऐसे डॉक्टरों के गैर जिम्मेदाराना रवैए पर लगाम लगाता है, ब्यूरो रिपोर्ट
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