भोपाल। कांग्रेस सरकार मे मंत्री रहे उमंग सिंघार के आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बयान पर सियासी बवाल खड़ा होने लगा है।
अब कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। कांग्रेस की आदिवासियों के लिए निकाली जा रही आदिवासी स्वाभिमान यात्रा के समापन के एक दिन पहले आदिवासी चेहरा और कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे उमंग सिंघार ने मुख्यमंत्री का चेहरा आदिवासी हो की मांग रखकर कांग्रेस में खलबली मचा दी है। मप्र में आदिवासी चेहरे को लेकर सियासी संग्राम मच गया है। पूर्व मंत्री और पिछले कुछ समय से लगातार विवादों में बने हुए उमंग सिंघार ने कहा कि भाजपा हो या कांग्रेस अगर आदिवासियों का विकास करना है, तो मुख्यमंत्री आदिवासी वर्ग का ही होना चाहिए।
आदिवासी बाहुल्य सीटों की स्थिति पर नजर..
2003 में 41 में से 37 सीटें जीती...
2008 में 47 सीटों में 29 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल...
2013 में 84 में से 59 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बीजेपी ने सरकार बनाई...
2018 में 84 में से 34 सीटें ही जीत सकी और सत्ता से बाहर हो गयी, कांग्रेस ने सरकार बनाई..
कांग्रेस ने साधी चुप्पी
आदिवासी चेहरे के बयान पर सियासत भी तेज हो गई है, हालांकि कांग्रेस ने उनके बयान पर चुप्पी साध ली है , चूंकि आदिवासियों से जुड़ा मामला है और संवेदनशील भी है । लिहाजा कांग्रेस इस मामले पर बोलने से बच रही है। बल्कि बीजेपी पर निशाना साधते हुए कह रही है की 18 साल से बीजेपी सरकार में है। बीजेपी आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती आई है ,बीजेपी को आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए था।
22 फीसदी आदिवासी
एमपी में 22 फीसदी आदिवासी है , जिस पार्टी की तरफ ये वोट बैंक चला गया, उसकी सरकार बना तय माना जाता है , 2018 के चुनाव को छोड़ दें , तो 2003 से लेकर 2013 के विधानसभा चुनावों में ये आदिवासी वोटर बीजेपी के साथ आया था। और बीजेपी को इसने पसंद किया , लेकिन 2018 में आदिवासी ने फिर कांग्रेस को पसंद किया । कमलनाथ छिंदवाड़ा से आते हैं , उनका क्षेत्र भी आदिवासी बाहुल्य है । वहीं इस बार आदिवासियों को रिझाने के लिए मोदी ने आदिवासी गौरव दिवस के दिन अवकाश का ऐलान किया और आदिवासियों के लिए कई और नई योजनाएं लॉन्च की।
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