भोपाल। रिमोट सेंसिंग तकनीक का असर इन दिनों तेजी से बढ़ते जा रहा है। हर क्षेत्र में रिमोट सेंसिंग तकनीक की मदद से विकास के नए द्वार खोले जा रहे हैं। शहरों के मास्टर प्लान हो या नागरिक निकाय में मिलनी वाली सुविधाओं के लिये भी इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के जन्मदिन के अवसर मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रिमोट सेंसिंग डे मनाया गया। इस अवसर पर इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग की मध्यप्रदेश चेप्टर की चैयरपर्सन डॉक्टर अरुणा सक्सेना ने रिमोट सेंसिंग तकनीक पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रस्तुत की। इस डॉक्यूमेंट्री में इसरो की यात्रा दिखाई। इस अवसर पर जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी के माध्यम से बताया गया कि किस तरह यह तकनीक आज रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गई है। वहीं आईएसआरएस एमपी चैप्टर के सेकेट्री डॉक्टर विवेक कटारे ने बताया कि किस तरह से यह तकनीक मास्टर प्लान बनाने में मदद कर रही है।
भोपाल। रिमोट सेंसिंग तकनीक का असर इन दिनों तेजी से बढ़ते जा रहा है। हर क्षेत्र में रिमोट सेंसिंग तकनीक की मदद से विकास के नए द्वार खोले जा रहे हैं। शहरों के मास्टर प्लान हो या नागरिक निकाय में मिलनी वाली सुविधाओं के लिये भी इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के जन्मदिन के अवसर मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में रिमोट सेंसिंग डे मनाया गया। इस अवसर पर इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग की मध्यप्रदेश चेप्टर की चैयरपर्सन डॉक्टर अरुणा सक्सेना ने रिमोट सेंसिंग तकनीक पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रस्तुत की। इस डॉक्यूमेंट्री में इसरो की यात्रा दिखाई। इस अवसर पर जियोस्पेशल टेक्नोलॉजी के माध्यम से बताया गया कि किस तरह यह तकनीक आज रोजमर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गई है। वहीं आईएसआरएस एमपी चैप्टर के सेकेट्री डॉक्टर विवेक कटारे ने बताया कि किस तरह से यह तकनीक मास्टर प्लान बनाने में मदद कर रही है।
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