श्रीमती मुर्मू की उम्मीदवारी से दौड़ गई थी उत्साह की लहर
प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने साल 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और फिर साल 2000 में वह ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं। अपनी योग्यता के बल पर द्रौपदी मुर्मू जी 18 मई 2015 को झारखंड की 9वीं राज्यपाल बनाई गईं और 12 जुलाई 2021 तक इस पद पर अपनी सेवाएं दी। गत वर्ष जब एनडीए की ओर से उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था, तभी प्रदेश के जनजातीय समाज में खुशी और उत्साह की लहर दौड़ गई थी। आज जब प्रदेश के जनजातीय भाई-बहन उन्हें राष्ट्रपति के रूप में अपने बीच पाते हैं, तो उनके आनंद की सीमा नहीं रहती। श्री शर्मा ने कहा कि यह प्रदेश के जनजातीय समाज का प्रबल आग्रह ही है, जिसके चलते राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू सर्वाधिक पांचवीं बार मध्यप्रदेश की यात्रा पर आई हैं।
पहले भी छला, आज भी जनजातीय समाज को छल रही कांग्रेस
प्रदेश अध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा ने कहा कि कांग्रेस 70 सालों तक जनजातीय समाज को सिर्फ वोट बैंक के नजरिए से देखती रही, कभी उनकी भलाई के लिए कोई प्रयास नहीं किए। उनके विकास और उत्थान की कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई। जबकि भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार ने इस वर्ग के उत्थान और विकास के लिए निर्णय लेकर उन्हें अमलीजामा पहनाया। काका कालेलकर समिति से लेकर मंडल कमीशन तक की रिपोर्ट को कांग्रेस की सरकारों ने दबा कर रखा। प्रधानमंत्री स्व. अटलबिहारी वाजपेयी की सरकार ने अनुसूचित जनजाति आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया और अलग से जनजातीय कार्य मंत्रालय की स्थापना की। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस अनुसूचित जनजाति के वोट लेकर कई बार सरकारें बनाती रहीं, लेकिन कभी उन्हें अधिकार देने के लिए पेसा एक्ट की बात नहीं की। यह एक्ट भी मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार ने बनाया। अंग्रेजों के रास्ते पर चलते हुए कांग्रेस हमेशा जनजातीय नायकों, क्रांतिवीरों, महापुरुषों का अपमान करती रही, जबकि भाजपा की सरकारों ने उनकी स्मृतियों को संजोने और सम्मान देने का काम किया। श्री शर्मा ने कहा कि कर्नाटक में तो वहां की कांग्रेस सरकार ने जनजातीय समाज के साथ बेईमानी की सारी हदें पार कर दी हैं। कांग्रेस की सरकार अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए अनुसूचित जनजाति के लिए लागू योजनाओं में बजट की कटौती कर रही है, जो किसी धोखाधड़ी से कम नहीं है।
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