भोपाल। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने प्रदेश के राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत द्वारा उनके निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक वोट दिलाने वाले पोलिंग बूथ को 25 लाख रूपये की लालच दिये जाने के प्रामाणिक आरोपों के बाद दर्ज उनके विरूद्व एफआईआर के बाद कहा कि यह एफआईआर एक मंत्री द्वारा आदर्श आचार संहिता के विरूद्व सीधी चुनौती से जुड़ा मामला है। उस स्थिति में जब भाजपा सरकार के निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव खर्च की सीमा 40 लाख रूपये निर्धारित की गई है, तब एक ही पोलिंग बूथ को 25 लाख रूपये की लालच दिये जाने से जुड़ा मामला सीधे तौर पर भ्रष्ट आचरण अपनाने की परिधि में आता है। लिहाजा, भाजपा को चाहिए कि वह राजपूत की उम्मीदवारी वापिस ले?
श्री मिश्रा ने कहा कि ऐसा ही आचरण भाजपा के ही राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने अपनाया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिस पोलिंग बूथ पर कांग्रेस को एक भी वोट नहीं मिलेगा, उसे 51 हजार का ईनाम दिया जायेगा। उनके इस बयान पर चुनाव आयोग ने स्वतः संज्ञान लेकर जिला निर्वाचन आयोग से जानकारी एकत्र की है, किंतु एक सप्ताह से अधिक समय व्यतीत हो जाने के बाद भी अभी तक कोई असरकारक कार्यवाही दिखाई क्यों नहीं दी?
श्री मिश्रा ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया है कि वह अपनी निष्पक्ष कार्यशैली प्रदर्शित करते हुये इन दोनों की मामलों पर गंभीरता से संज्ञान ले, ताकि आदर्श आचार संहिता का ईमानदारीपूर्वक दिखाई देने वाला परिपालन हो सके।
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