भोपाल। कमलनाथ जी आजकल हिंदू हो गए हैं। कह रहे हैं कि अयोध्या में बन रहा राम मंदिर भाजपा का नहीं, राष्ट्र और सनातन का है। हैरत की बात है कि न तो राम मंदिर के लिए कारसेवकों के बलिदान को देखा जा रहा है, न साधु-संतों की कुर्बानी देखी जा रही है। जब मंदिर का निर्माण पूरा होने को है, तो कांग्रेस राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश में जुट गई है और चुनाव नजदीक देखकर सोनिया के यह भक्त, राम भक्त होने का ढोंग रच रहे हैं। लेकिन देश का हिंदू, सनातनी यह बात अच्छे से जानता है कि कांग्रेस की नस-नस में बेईमानी है। उसकी नसों में बेईमानी का खून दौड़ रहा है। कांग्रेस न राम की हो सकती है और न हिंदुस्तान की। यह बात वरिष्ठ भाजपा नेता और विधायक श्री रामेश्वर शर्मा ने शुक्रवार को प्रदेश मीडिया सेंटर में पत्रकार-वार्ता के दौरान कही।
चुनावी हिंदू बनने की हड़बड़ी में पिछले पाप भूल गए कमलनाथ
श्री शर्मा ने कहा कि आजकल कमलनाथ जिस तरह की बातें कर रहे हैं, उससे यह संदेह होने लगा है कि कमलनाथ आजकल कांग्रेस में हैं या उन्होंने अपनी अलग कमलनाथ कांग्रेस बना ली है। मैं कमलनाथ जी से यह पूछना चाहता हूं कि क्या उन्हें अपनी और कांग्रेस की गलतियों के बारे में पता नहीं है? क्या कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और उनके बेटे ने सनातन के विरोध में दिये गए बयान के लिए माफी मांग ली है? क्या करुणानिधि के पोते ने सनातन के अपमान के लिए माफी मांग ली है? श्री शर्मा ने कहा कि कमलनाथ अपने पिछले पाप भूलते जा रहे हैं। 1992 में जब रामजन्म भूमि आंदोलन के दौरान गोलियां चली थीं, तब क्या कमलनाथ बच्चे थे? श्री शर्मा ने कहा कि कमलनाथ उस समय संसदीय परंपरा में थे, लेकिन उन्होंने इस घटना के विरोध में एक शब्द नहीं बोला। उस समय राम जन्मभूमि आंदोलन के तमाम नेता, साधु-संत जेलों में डाल दिए गए, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश की चुनी हुई सरकारें गिरा दी गईं। उस समय कमलनाथ केंद्रीय कैबिनेट में थे, लेकिन उन्होंने इसके विरोध में एक शब्द भी नहीं बोला था। जब राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद सहित अन्य संगठनों पर बैन लगाया गया, तब आपने नहीं कहा कि कैबिनेट का यह निर्णय गलत है। आपने तब ये क्यों नहीं बोला कि जो कुछ कारसेवकों ने किया मैं उसके साथ हूं।
बाबरी मस्जिद को फिर से बनाना चाहती थी कांग्रेस
श्री शर्मा ने कहा कि बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद कांग्रेस की सरकार जानबूझकर हिंदू संगठनों, साधु-संतों को निशाना बना रही थी, लेकिन कमलनाथ तब जानबूझकर मौन रहे, क्योंकि वो भी यह चाहते थे कि हिंदू संगठनों पर प्रतिबंध लगे, साधु-संतों को जेल में डाला जाए, उन्हें सजा सुनाई जाए। इसीलिए कमलनाथ ने कैबिनेट के निर्णयों का विरोध नहीं किया। श्री शर्मा ने कहा कि हिंदू विरोध में उस समय की कांग्रेस सरकार इतने आगे बढ़ गई थी कि उसने संसद में कहा था कि हम बाबरी मस्जिद फिर से बनाएंगे। लेकिन संतों की चेतावनी के बाद कांग्रेस को अपने कदम वापस लेना पड़े थे। उस समय साधु-संतों ने कहा था कि बावरी ढांचा तो अब टूट चुका है, अगर कांग्रेस कोई कुत्सित प्रयास करती है तो उसकी नस-नस तोड़ देंगे और राम जन्मभूमि पर दोबारा मस्जिद नहीं बनने देंगे।
चुनाव देखकर करवट बदल रहे हैं चुनावी हिंदू
श्री शर्मा ने कहा कि राम जन्मभूमि के बारे में बयानबाजी करने वाले कमलनाथ क्या कभी रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या गए हैं? क्या सोनिया जी रामलला के दर्शन के लिए गई हैं, राहुल गांधी या फिरोज खान के परिवार का कोई भी सदस्य क्या रामलला के दर्शन के लिए गया है? लेकिन अब जब रामलला का भव्य मंदिर अयोध्या में बनने लगा है, देश का हिंदू जागने लगा है और शादी-ब्याह तक में यह गाना बजने लगा है कि जो राम को लाए हैं, हम उनको लाए हैं, तो कांग्रेस को यह लगने लगा है कि राम के बिना काम नहीं होगा। श्री शर्मा ने कहा कि चुनाव नजदीक देखकर चुनावी हिंदुओं ने भी करवट बदल ली है और अब वो भी कहने लगे हैं कि राम मंदिर तो राष्ट्रीय आस्था का प्रश्न है। श्री शर्मा ने कहा कि मैं इन चुनावी हिंदुओं से पूछना चाहता हूं कि अगर यह राष्ट्रीय आस्था का प्रश्न था, तो पहले क्यों नहीं राम मंदिर बनवा दिया? उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस इतनी ही सच्ची हिंदू है, तो ज्ञानवापी के सामने खड़े होकर यह घोषणा करे कि यहां भी शिवालय है और यहां शिव शंकर का भव्य मंदिर बनेगा। श्री शर्मा ने कहा कि सनातन पर आस्था, भरोसा रखने वाला हर व्यक्ति कांग्रेस को जानता है। उसे पता है कि कांग्रेस न तो कभी हिंदुस्तान की हो सकती है, न कभी राम की। वह कृष्ण, महावीर, गौतम बुद्ध, नानक की भी नहीं हो सकती। कांग्रेस सिर्फ मौका परस्त है, वह जिसका पलड़ा भारी हो, उसी की तरफ हो जाती है।
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